
आरसा के सदस्यों ने उत्तरी मौंगडाव टाउनशिप में स्थित एक हिन्दू गांव अह नॉक खा माउंग सेक पर 26 अगस्त को हमला किया था।
यंगून. म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या कट्टरपंथियों ने पिछले साल संघर्ष के दौरान हिन्दू गांवों पर हमला कर वहां महिलाओं और बच्चों सहित 99 हिन्दुओं की जान ले ली थी। ये जानकारी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी (आरसा) के गुर्गों ने 2017 के बीच सुरक्षा बलों पर दर्जनों हमले किए।
– रिपोर्ट में एक पीड़ित ने बताया कि आरसा के सदस्यों ने उत्तरी मौंगडाव टाउनशिप में स्थित एक हिन्दू गांव अह नॉक खा माउंग सेक पर 26 अगस्त को हमला किया था।
– रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद यहां पर औरतों और बच्चों सहित 69 लोगों को बंदी बना लिया था, जिनमें से ज्यादातर को टॉर्चर करने के बाद में मार डाला गया।
– इस हमले में बचने वाली एक हिन्दू महिला ने बताया कि वो लोग हमारी आंखों के सामने घर के मर्दों को काट रहे थे। हमें ये सब नहीं देखने के लिए कहा गह था।
– महिला ने बताया कि वो चाकू से लोगों को काटकर उनकी जान ले रहे थे। इसके अलावा उनके पास फावड़ा और लोहे के रॉड भी थे।
– उसने बताया कि झाड़ियों के पीछे छिपने से हमारी जान बच गई और हमने सब कुछ अपनी आंखों से देखा। मेरे सामने मेरे पापा, मेरा भाई और मेरे अंकल के जान से मारा गया।
– अरसा फाइटर्स पर 20 पुरुषों, 10 महिलाओं और 23 बच्चे, जिसें 14 आठ साल से कम उम्र के बच्चों की हत्या का आरोप है।
– एमनेस्टी के मुताबिक, पिछले साल सितंबर के अंत में 4 सामूहिक क्रबों में से मारे गए इन्हीं में से 45 हिन्दुओं की डेडबॉडीज निकाली गईं थीं।

एक ही दिन में दो हिन्दू गांवों का सफाया
– इसके अलावा हमले के दिन पास के ही एक अन्य गांव ये बउक क्यार में भी हिन्दू कम्युनिटी से जुड़े 46 लोग लापता हो गए थे, जिनकी कोई खबर नहीं मिली।
– जांच से पता चलता है कि इसी दिन ये बउक क्यार गांव में हिन्दू पुरुष, महिला और बच्चों का नरसंहार हुआ था। दोनों गांवों को मिलाकर कुछ 99 हिन्दू मारे गए थे।
– इस हिंसा में जिंदा बचे उन 18 साल के राज कुमार ने बताया- नकाबपोश और रोहिंग्या गांवों में सादे कपड़ों में मौजूद लोगों ने कई लोगों को बांधकर, आंखों पर पट्टी लगाकर शहर में घुमाया।
– इसके बाद म्यांमार सेना ने वहां सख्ती से इनके दमन के लिए अभियान चलाया। इससे वहां से करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को पलायन करना पड़ा था।