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कानपुर। विश्व के कल्याण के लिए भारतवर्ष को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है न कि प्रताड़ित करने के लिए, यह बात माननीय सांसद एवं प्रखर वक्ता श्री सुधांशु त्रिवेदी जी ने राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एवम छत्रपति शाहू जी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री त्रिवेदी ने बताया कि विश्व की कई शक्तियां लोक कल्याण के बजाय विश्व को प्रताड़ित करने के लिए महाशक्ति बनना चाहते हैं।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि हम सभी को स्वतंत्रता तो बहुत वर्ष पहले प्राप्त हो गई और स्वतंत्रता के पहले अक्षर “स्व” को प्रत्येक क्षेत्र में अपनाकर हम सब भारतवर्ष को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बना सकते है।
उन्होंने बताया कि विश्व में कहीं भी यदि कोई ज्ञान का अनुसंधान हो रहा हो तो भारतवर्ष उसका केंद्र बिंदु होता है।
उन्होंने कहा कि भारत वह है जो ज्ञान के प्रकाश के अनुसंधान में सतत् रूप से लगा है।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रभारी श्री महेन्द्र कुमार जी ने संगठन द्वारा समय समय पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु किए जाने वाले कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की सराहना की।
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुकूल एवं गर्व की अनुभूति कराने वाली नीति है।
संगोष्ठी का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना से किया गया।
स्वागत गीत शुभ्रा जी ने प्रस्तुत किया।
इसके पूर्व मै ही डॉ दिलीप सर देसाई ने संगठन एवं संगोष्ठी के उद्देश्य से समस्त सभागार को अवगत कराया
अतिथियों का स्वागत एवं परिचय विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष प्रो मनोज अवस्थी ने कराया
संचालन डॉ अमृता वर्मा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ ए बी जायसवाल ने किया
कार्यक्रम में 40 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र को पढ़ा।
संगोष्ठी में प्रमुख रूप से शैलेन्द्र द्विवेदी संयुक्त महामंत्री,प्रतिकुलपति डॉ सुधीर अवस्थी, सीडीसी डॉ आर.के.द्विवेदी, राहुल कुमार मिश्रा,चंद्र्दीप यादव,प्रताप कटियार , शैलेन्द्र अवस्थी समेत सैकड़ों शिक्षक एवं प्रतिभागी उपस्थित रहे।