
नईदिल्ली,23मई18 : जनता दल सेक्युलर के नेता एच डी कुमारस्वामी ने आज कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली जहां मंच पर साल 2019 के चुनावी घमासान से पहले विपक्षी एकता देखने को मिली।
एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की सरकार बन गई है। जेडीएस के कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री के रूप में और जी परमेश्वर ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने कर्नाटक विधासभा भवन में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में विपक्षी पार्टियों के लगभग सभी दिग्गज नेता जुटे।
कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा, जेडीयू के पूर्व नेता शरद यादव, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, कमल हासन और आरएलडी प्रमुख अजित सिंह समेत कई नेता मौजूद थे।
शपथ ग्रहण के बाद विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर कर्नाटक के नए सीएम कुमार स्वामी ने कहा, ‘पूरे देश से आए नेताओं ने राष्ट्र को संदेश दिया है कि हम एक हैं और 2019 के चुनाव में देश के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आएगा। वो यहां हमारी सरकार को बचाने नहीं आए हैं।’
कर्नाटक में बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद भी कांग्रेस ने जेडीएस से गठबंधन कर बीजेपी को वहां सत्ता में आने से रोक दिया। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के इस फैसले ने पूरे विपक्ष को साल 2019 के चुनाव में मोदी को सत्ता में आने से रोकने को मंत्र दे दिया है।
कांग्रेस पार्टी पीएम नरेंद्र मोदी की मजबूत और लोकप्रिय छवि का मुकाबला इन सभी दलों को एक साथ लाकर करना चाहती है क्योंकि देश के अधिकांश राज्यों में बेहद कमजोर हो चुकी है। कांग्रेस के संगठन में इतनी मजबूती नहीं दिख रही है जो बीजेपी और आरएसएस के माइक्रो लेवल बूथ मैनेजमेंट का मुकाबला देश के अधिकांश हिस्सों में कर सके।
ऐसे में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी कई महीनों से कोशिश कर रहे हैं कि क्षेत्रीय दलों और क्षत्रपों को एक गठबंधन के नीचे लाया जाए ताकि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी को हराया जा सके। हालांकि कांग्रेस के अलावा बाकी दूसरे विपक्षी दलों का हाल भी राज्यों में बहुत अच्छा नहीं है और उनपर भी अपने अस्तित्व को बचाये रखने की चुनौती है