
किबिथू। चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लोहित घाटी के निकट स्थित एक सैन्य स्टेशन और एक प्रमुख सड़क का नाम शनिवार को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखा गया। जनरल बिपिन रावत का निधन करीब नौ महीने पहले एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में हो गया था। जनरल रावत कर्नल के रूप में 1999-2000 तक किबिथू में अपनी बटालियन 5/11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली थी और क्षेत्र की सुरक्षा संरचना को मजबूत करने में अहम योगदान दिया था।
पहले CDS को दिया गया सम्मान
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बी डी मिश्रा, मुख्यमंत्री पेमा खांडू, पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता और जनरल रावत की बेटियां कृतिका और तारिणी की उपस्थिति में एक समारोह आयोजित किया गया। समारोह में किबिथु सैन्य शिविर और वालोंग से किबिथू तक 22 किमी लंबी सड़क का नाम जनरल रावत के नाम पर रखा गया। इस कार्यक्रम में सेना के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। किबिथू भारत के पूर्वी हिस्से में लोहित घाटी के तट पर बसा एक छोटा सा गांव है।
सैन्य शिविर का नाम जनरल रावत पर रखा गया
किबिथु सैन्य शिविर का नाम बदलकर जनरल बिपिन रावत मिलिट्री गैरीसन कर दिया गया, जिसमें राज्यपाल द्वारा स्थानीय पारंपरिक वास्तु शैली में निर्मित एक भव्य द्वार का उद्घाटन किया गया। मुख्यमंत्री खांडू द्वारा वालोंग से किबिथू तक 22 किलोमीटर की सड़क को जनरल बिपिन रावत मार्ग के रूप में समर्पित किया गया था। साथ ही दीवार पर बनी जनरल रावत की एक चित्र का भी अनावरण किया गया। जनरल रावत और उनकी पत्नी मधुलिका सहित 12 सैन्य अधिकारियों की मौत आठ दिसंबर को तमिलनाडु के कन्नूर में एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में हो गई थी।
सेना में जनरल रावत का अहम योगदान
सेना ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास को लागू करने और क्षेत्र में सामाजिक प्रगति सुनिश्चित करने में जनरल रावत की परिकल्पना और दूरदर्शिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, ‘दिसंबर 2021 में जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है।’ इस समारोह में किबिथू और वलोंग गांव के लोग भी शामिल हुए।