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क्या करूंगा नौकरी का… गड्ढे में गिरकर बेटे की मौत, शव लेकर SSP ऑफिस पहुंचा बेबस सिपाही

Network Today

इटावा: उत्तर प्रदेश में इटावा से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। थाना फ्रेंड्स कॉलोनी क्षेत्र की एकता कॉलोनी में पुलिस लाइन में नियुक्त सिपाही के 2 साल के बेटे की घर के पास ही गंदे पानी से भरे एक गड्ढे में डूब कर मौत हो गई। छुट्टी ना मिलने से नाराज सिपाही बेटे के शव लेकर एसएसपी कार्यालय पहुंचा। सिपाही ने आरोप लगाया कि बीमार पत्नी और बच्चे की देखभाल के लिए वह कई दिनों से छुट्टी मांग रहा था लेकिन फिर भी मंजूर नहीं हुई।

घटना बुधवार की सुबह की है जब सिपाही का 2 वर्ष का पुत्र हर्षित खेलते खेलते घर के बाहर निकल गया और पानी से भरे गड्ढे में डूब कर उसकी मौत हो गई,मासूम की मां और परिजन घर में बच्चों को ढूंढते रहे लेकिन वह नहीं मिला,जब बाहर निकल कर देखा तो उसका शव पानी में तैर रहा था।

पत्नी के इलाज के लिए मांग रहे थे छुट्टी..बेटे की मौत ने तोड़ा
सिपाही सोनू मूल रूप से मथुरा का रहने वाले हैं। उनका आरोप है कि वह 15 दिन से बीमार अपनी पत्नी कविता के उपचार के लिए अधिकारियों से लगातार छुट्टी मांग रहे थे।अधिकारी उन्हें छुट्टी के लिए टाल रहे थे। इसी दरमियान बुधवार की सुबह सिपाही सोनू चौधरी व उनकी पत्नी कविता के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया। जब उनके 2 वर्ष के मासूम की दर्दनाक तरीके से घर के पास पानी से भरे हुए गड्ढे में डूब कर मौत हो गई।

एसएसपी ऑफिस पंहुचा बेबस ख़ाकी का जवान

बेटे का शव लेकर SSP ऑफिस पहुंचा बेबस पिता
छुट्टी ना मिल पाने के कारण बेटे की मौत का जिम्मेदार अपने ही पुलिस महकमे के अधिकारियों को मान लिया। उनका कहना था कि अगर उन्हें छुट्टी दे दी जाती तो शायद उनका बेटा बच जाता। इसी गुस्से में वह अपने 2 वर्ष के मासूम बेटे हर्षित का शव लेकर कलेक्टर परिसर में मौजूद एसएसपी कार्यालय पहुंचे और घेराव किया। मृतक बेटे के शव को लिए सिपाही सोनू चौधरी को सिटी एसपी कपिलदेव, ग्रामीण एसपी सत्यपाल सिंह सहित जिले के आला अधिकारी समझाने में जुटे रहे। अधिकारियों की बातों को मान मृतक बेटे को शव को लेकर आंखों में आंसुओं के साथ सिपाही वापस घर चला गया।
‘मेरा इकलौता बेटा चला गया’
सिपाही सोनू चौधरी ने बताया कि 7 जनवरी को मैंने एसपी सिटी कपिल देव को प्रार्थना पत्र दिया था कि मेरी पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है उसका उपचार कराना है। उन्होंने मेरी छुट्टी को स्वीकृत नहीं किया,अगर वह मेरी छुट्टी को स्वीकृत करते तो शायद मेरा बेटा आज जिंदा होता। मेरे बड़े भाई की भी शादी को काफी वर्ष हो चुके लेकिन उनके कोई संतान नहीं है। हम दो भाइयों के बीच यह इकलौता मेरा बेटा था।

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