
बेंगलुरु. भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा न होने की वजह से मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा ने बहुमत का प्रस्ताव पेश तो किया, लेकिन फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं गए। इससे पहले उन्होंने करीब 20 मिनट तक भावुक स्पीच दी। उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस और जेडीएस के खिलाफ जनादेश है। अगर हमें 113 सीटें मिली होती तो आज स्थिति कुछ और होती। येदियुरप्पा ने 17 मई को अकेले शपथ ली थी।
प्रस्ताव पेश करने के तुरंत बाद उन्होंने कहा कि आज हमारी अग्नि परीक्षा है। अगर अभी बीच में चुनाव होता है तो हमें 150 से ज्यादा सीटें मिलेगी इस बात का हमें विश्वास है। भावुक होकर उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार होती तो राज्य में विकास होता।
भावुक हुए येदियुरप्पा ने कहा कि जनता के लिए हम जान दे सकते है। बता दें कि बीजेपी की सरकार गिर गई, जिसके बाद कांग्रेस के खेमे में खुशी का माहौल छाया हुआ है। इसी के साथ अब कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। 1996 में संसद में बहुमत परीक्षण के दौरान तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं था। आज ठीक 22 साल के बाद बीजेपी ने इतिहास दोहराते हुए कर्नाटक में इस्तीफा दे दिया।
15 मई को सामने आए नतीजों के मुताबिक बीजेपी को 104 सीटें तो कांग्रेस को 78 जबकि जेडीएस के खाते में 38 सीटें आई थीं। इस चुनाव में जेडीएस तीसरे नंबर की पार्टी थी। बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद अब जेडीएस के विधायक कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बनेंगे। येदियुरप्पा ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
इसके पहले कर्नाटक में बहुमत का ड्रामा जमकर चला। दिनभर कभी बीजेपी के पास बहुमत होने और न होने की खबरें आती रहीं। यहां तक कि कांग्रेस और जेडीएस के दो-दो विधायकों के गायब होने की खबर आई। आखिर में इस गठबंधन के सभी विधायक ( कांग्रेस 78 + जेडीएस 37) सदन में पहुंच गए।
जेडीएस-कांग्रेस के चार विधायक लौटे
– पहले खबर कांग्रेस के दो विधायक आनंद सिंह और प्रताप गौड़ा पाटिल असेंबली नहीं पहुंचे थे। इसी तरह जेडीएस के दो विधायक के भी सदन नहीं पहुंचने की खबर आई। प्रताप गौड़ा पाटिल करीब एक बजे विधानसभा पहुंचे। शाम को 3:30 बजे आनंद सिंह भी सदन में पहुंंच गए।
– उधर, अब जेडीएस के भी सभी विधायकों के सदन में पहुंचने की खबर है।