कानपुर का चंद्रेश्वर हाता बन रहा कश्मीर! बवाल के बाद तीन परिवारों ने किया पलायन

तीस सालों में कई बार दंगे का दंश झेल चुके कई हातों से हिंदू परिवार कर चुके पलायन।

कानपुर। नई सड़क पर स्थित चंद्रेश्वर का हाता में रह रहे लोग डर और दहशत के शिकार हैं। यहां कई हिंदू परिवार पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। माना ये जा रहा है कि 3 जून की घटना में इस हाते को टारगेट किया गया था। अब बवाल शांत होने के बाद यहां से कई परिवार पलायन करने को मजबूर हैं। अब तक तीन परिवार पलायन कर चुके हैं। बाकी लोग भी यहां से जाने की तैयारी कर रहे हैं।

कानपुर में तीन जून को हुए बवाल के बाद नई सड़क के चंद्रेश्वर हाते में डर और दहशत का माहौल है। लोगों का कहना है कि पिछले 32 सालों से दंगे का दंश झेल रहे हैं। हमारे घर के आसपास दूसरे समुदाय के लोगों ने कई ऊंची-ऊंची इमारतें बना ली हैं। वहां से आए दिन पेट्रोल बम और पत्थरबाजी करते हैं। वहीं यहां के लोग बताते हैं कि नई सड़क पर तकरीबन 10 से 12 हाते हिंदू बाहुल्य थे। लेकिन धीरे-धीरे हिंदू परिवार वहां से पलायन हो गया।

इसलिए खाली होते गए हाते 

हातों पर पूरी तरह से किराएदारों का कब्जा था। मालिकों को मामूली किराया मिल रहा था। दूसरे समुदाय ने मोटी रकम देकर या दबाव डालकर जमीन ले ली। इसके बाद दहशत फैलाकर किराएदारों को भगा दिया गया। कहा जाता है कि दूसरे समुदाय से जुड़े भूमाफिया बिल्डरों ने दहशत के लिए डी-टू गैंग और स्थानीय दबंगों का साथ लिया। इसके बाद इन क्षेत्रों में ऊंची-ऊंची अवैध इमारतें खड़ी हो गईं।

चंद्रेश्वर हाता वालों ने बयां किया ऊंची इमारतों का खौफ 

एसआइटी के अफसर चंद्रेश्वर हाता गए तो यहां रहने वालों ने शुक्रवार के उपद्रव के अलावा क्षेत्र में बनीं बहुमंजिला इमारतों के खौफ से भी अवगत कराया। आरोप लगाया है कि पूरे हाते को ऊंची इमारतों से घेर रखा है। अवैध तरीके से खड़ी की गईं ऊंची इमारतों से बवाल के वक्त न केवल पथराव और गोलीबारी होती है, बल्कि आम दिनों में रात के समय चोरी छिपे गंदगी फेंकी जाती है। यह केवल परेशान करने के लिए किया जाता है। कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन सुनवाई न होने से दूसरे पक्ष की हिम्मत बढ़ती गई।

तीन परिवार पलायन कर गए, कई और तैयार

कानपुर के डीएम और पुलिस कमिश्नर ऑफिस से महज एक किलोमीटर की दूर परेड से घंटाघर को जाने वाली नई सड़क पर चंद्रेश्वर हाते में डर और दहशत का माहौल है। बाहर सुरक्षा में दो पुलिसकर्मी तैनात थे। हाते के बाहर दुकानों में लोगों का मजमा लगा हुआ था। अंदर सन्नाटा छाया था। कुछ लोग मिले, लेकिन कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हो रहे थे। उनका कहना था कि अगर वह कैमरे पर बोलेंगे, तो उन्हें और उनके बच्चों को खतरा हो सकता है। टीम और आगे बढ़ी, तब पता चला कि यहां के रहने वाले अशोक वर्मा का परिवार दहशत के चलते हिंसा के बाद घर छोड़कर चला गया है। रिश्तेदार के यहां पूरा परिवार रह रहा है। इनके ठीक सामने रहने वाले कपिल पुरी भी हिंसा के बाद दहशत के चलते बच्चों के पास शिफ्ट हो गए हैं। घर पर ताला लगा हुआ है। जबकि तीसरा मकान कुछ समय पहले एक मकान में ऊपर और नीचे रहने वाले घर बेचकर ही दूसरी जगह शिफ्ट हो गए।

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