
Varanasi Blast Case: संकटमोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन पर हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी वलीउल्लाह (Waliullah) को सोमवार को गाजियाबाद (Ghaziabad) की अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने से पीड़ित परिवारों के साथ ही काशीवासियों के कलेजे को भी ठंडक मिल गई। पीड़ित परिवारों व गवाहों ने कहा फैसले में देरी से उन्हें निराशा जरूर थी, लेकिन अदालत पर पूरा भरोसा था। अपनों को खोने का गम तो है लेकिन फांसी की सजा पर सुकून भी है। 7 मार्च 2006 की शाम को वाराणसी के संकटमोचन मंदिर (Sankat Mochan Mandir) और कैंट रेलवे स्टेशन (Cantt Railway Station) पर दस मिनट के अंतराल पर बम धमाके हुए थे। इसके अलावा दशाश्वमेध घाट जाने वाले मार्ग पर कुकर बम मिला था। बम धमाकों में 18 लोग मारे गए थे, जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे। इनमें कई अपाहिज हो चुके हैं।
हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई गाजियाबाद (Ghaziabad Court) की अदालत में हुई। शनिवार को आरोपित वलीउल्लाह को दोषी करार दिए जाने के बाद सजा सुनाए जाने को लेकर पीड़ित परिवारों के साथ ही वाराणसी शहर में भी उत्सुकता बनी हुई थी। सुबह से ही लोग टीवी पर नजरें जमाए रहे। फांसी की सजा सुनाए जाने की खबर ने सुकून के भाव ला दिए। पीड़ित परिवारों ने कहा कि आखिरकार इंसाफ हुआ।
फैसला सुनते ही छलके आंसू
संकटमोचन मंदिर में धमाके में जान गंवाने वाले युवा फोटोग्राफर हरीश बिजलानी के 75 वर्षीय पिता देवी दास बिजलानी और पत्नी नेहा के चेहरों पर गम साफ नजर आया। फैसला सुनते ही न चाहते हुए भी आंसू छलक पड़े। कहा कि हरीश की आत्मा को शांति मिलेगी। देवीदास बोले, जवान बेटे को खोने का गम मुझसे ज्यादा भला और कौन समझ सकता है। इतना दर्द दिल में कि आंखों के आंसू सूख चुके थे। वलीउल्लाह ने उन बेगुनाहों की जान ली थी, जिन्होंने उसका कुछ नहीं बिगाड़ा था। वलीउल्लाह जैसे लोग किसी एक परिवार के नहीं, पूरे समाज के दुश्मन हैं। हरीश के बच्चे मोहित और शिखर ने कहा कि निर्दोष लोगों का का खून बहाने वाले को सार्वजनिक तौर पर फांसी दी जानी चाहिए, ताकि फिर कोई ऐसा करने की सोचे भी नहीं।
देर भले हुई, इंसाफ मिला
बम ब्लास्ट में मृत कारोबारी मनोहर लाल भालोटिया के परिवारीजन कन्हैयालाल का कहना है कि आतंकी को फांसी की सजा सुनाए जाने से दिल को तसल्ली मिली है। मनोहर लाल परिवार की शादी में संकटमोचन मंदिर गए थे तभी धमाके में मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी। मनोहर लाल के साथ रहे कर्मचारी संतोष साहनी का इस हादसे में दाहिना पैर जांघ के पास से उड़ गया तो इन दिनों कृत्रिम पैर लगाकर किसी तरह एक-एक दिन बिता रहे हैं। संतोष कहते हैं कि वलीउल्लाह को फांसी से कम की सजा मंजूर नहीं थी। अदालत ने फांसी की सजा देकर यह बता दिया है कि देर भले हो, न्याय जरूर मिलता है।
बम धमाके में जान गंवाने वाले सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो. प्रभाकर द्विवेदी के पुत्र आशीष को अदालत के फैसले की जानकारी मिली तो आंखों में आंसू छलक पड़े। इन आंसुओं में पिता को खोने का गम था तो फैसले को लेकर सुकून भी। हालांकि सुनवाई होने में 16 साल का समय लगने पर आशीष ने सवाल खड़ा किया। बमकांड के पीड़ित अस्सी निवासी विद्याभूषण मिश्र की आंखें भी आंसुओं से भर गई। संकट मोचन मंदिर में परिवार के संग दर्शन-पूजन को गए विद्या भूषण की डेढ़ साल की बेटी शिवांगी की धमाके में मौत हो गई थी। जबकि भतीजी गरिमा और पत्नी सुशीला धमाके में घायल हुई थी।
कैंट रेलवे स्टेशन पर विस्फोट में घायल हुए तब के स्टेशन प्रबंधक राधेश्याम दुबे ने फैसले की खुले दिल से सराहना की। वलीउल्लाह को सजा-ए-मौत देने के फैसले को सुनकर रेलवे स्टेशन ब्लास्ट में मरने वाले मजदूर लालचंद भारती की भांजी मुन्नी देवी के चेहरे की मायूसी कम हुई।
पीड़ित परिवारों के लिए मरहम
संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र का कहना है कि वलीउल्लाह को फांसी की सजा उन परिवारों के थोड़ा मरहम की काम करेगी, जिन्होंने धमाके में अपनों को खोया है। बताया कि विस्फोट के तत्काल बाद वह उस समय महंत रहे प्रो. वीरभद्र मिश्र के साथ मंदिर पहुंचे तो विस्फोट से निकला धुआं छंटा नहीं था। बचाव कार्य के लिए लोग जज्बा दिखाते हुए सामने आए थे। उन्होंने आतंकी घटनाओं के जिम्मेदारों को जल्द सुनवाई कर सजा दिए जाने की बात कही।