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UP: कानपुर हिंसा और अग्निपथ के पत्थरबाजों पर अलग-अलग कार्रवाई क्यों?, ADG प्रशांत कुमार ने बताई वजह

Network Today

 

  • हिंसक घटनाओं में अब तक 46 एफआईआर दर्ज
  • 525 प्रदर्शनकारियों को पुलिस कर चुकी है गिरफ्तार

कानपुर में नमाज के बाद हुई हिंसा के मामले में एनएसए की कार्रवाई की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ अग्निपथ योजना के विरोध में हिंसक प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर मामूली एफआईआर दर्ज की जा रही है. सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगहों पर अब सवाल उठ रहा है कि एक ही घटना में पत्थरबाजी-आगजनी करने वाले आरोपियों पर दो अलग-अलग तरह की कार्रवाई क्यों की जा रही है?

इस संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि अग्निपथ योजना के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन के पीछे कुछ असामाजिक तत्व और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग शामिल हैं. पुलिस को अब तक की जांच में इसके पुख्ता सबूत मिले हैं. इसी के साथ ही ऐसे तमाम कोचिंग संचालक और राजनीतिक दलों से जुड़े लोग गिरफ्तार कर जेल भी भेजे गए हैं.

जितना गुनाह किया होगा, उतनी सजा मिलेगी

प्रशांत कुमार का कि कहना है कि जिसका जितना गुनाह होगा, उसको उतनी ही सजा मिलेगी. वहीं कई नौजवान ऐसे भी थे, जिन्होंने प्रदर्शन तो किया लेकिन तोड़फोड़ आगजनी नहीं की, ऐसे ही प्रदर्शनकारियों पर शांति भंग की आशंका में कानूनी कार्रवाई की जा रही है. मौके से मिले वीडियो फुटेज के आधार पर जिन लोगों ने आगजनी-पत्थरबाजी की या सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में कार्रवाई की जा रही है. ऐसे लोगों से ही नुकसान की भरपाई भी होगी.

प्रशांत कुमार ने बताया कि सरकार छात्रों पर कार्रवाई को लेकर बेहद संवेदनशीलता से काम कर रही है. छात्रों की आड़ में कुछ उपद्रवियों ने हिंसा की है. कानून को अपने हाथ में लिया है. ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है लेकिन जिन छात्रों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया लेकिन कोई हिंसा या नुकसान नहीं किया  उनको भी चिन्हित कर 151 सीआरपीसी में कार्रवाई की जा रही है.

क्या होती है 151 सीआरपीसी की कार्रवाई

सीआरपीसी की धारा 151 के तहत जब किसी भी पुलिस अधिकारी को अपराध होने की आशंका की सूचना मिले तो वह पुलिस अधिकारी उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है. कानून की भाषा में इसे निरोधात्मक कार्रवाई कहते हैं.

असल में धारा 151 के तहत कोई मुकदमा नहीं चलता, न ही कोई जुर्माना लगाया जा सकता है बस आरोपी को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है, जहां पर उसे अपराध न करने या शांति व्यवस्था भंग न करने की हिदायत के साथ जमानत दे दी जाती है. यानी बीमारी को रोकने के लिए जिस तरह टीका काम करता है, ठीक उसी तरह अपराध घटित होने से पहले उसे रोकने के लिए पुलिस धारा 151 का इस्तेमाल करती है.

 

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