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Sawan 2022 Kanpur: भूतों ने एक रात में किया था इस मंदिर का निर्माण! माता सीता लव और कुश के साथ करती थीं जलाभिषेक

मंदिर में पवित्र श्रावण मास के दिनों में हजारों की संख्या में भक्त महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं।

आपको हम सावन के पावन पर्व पर  कानपुर और आस-पास के शिवालय के बारे मे  बताना चाहेंगे इस इतिहास के बारे में  आज हम आपको कानपुर शहर के कल्याणपुर स्थित बाबा श्री भूतेश्वर धाम मंदिर के बारे में पढ़े।

Network Today

कानपुर। भूतेश्वर मंदिर कल्याणपुर के आवास विकास क्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि प्राचीन मंदिर का निर्माण भूतों ने एक रात में किया था, इसलिए मंदिर का नाम बाबा श्री भूतेश्वर धाम पड़ा। मंदिर में पवित्र श्रावण मास के दिनों में हजारों की संख्या में भक्त महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। श्रावण मास के साथ महाशिवरात्रि और नागपंचमी पर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यहां पर देशभर से भक्त पूजन अर्चन के लिए आते है।

 

मंदिर का इतिहास: बाबा श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। भगवान राम ने जब सीता माता का परित्याग कर दिया था, तब बिठूर निवास के दौरान सीता माता लव और कुश के साथ प्रतिदिन यहां जलाभिषेक करने आती थीं। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर में तोड़फोड़ की थी। इसके प्रमाण भूतेश्वर महादेव मंदिर में टूटी हुई मूर्तियों के अवशेष के रूप में आज भी मौजूद हैं। मंदिर में दो सुरंगे भी थीं, जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी।

मंदिर की विशेषता: मान्यता है कि ऐसा शिवलिंग पूरे भारतवर्ष में नहीं है। राजा विनायक राव ने कई बार खोदाई कर शिवलिंग के अंतिम छोर का पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन शिवलिंग का छोर नहीं मिला। मंदिर में महादेव के साथ शिव परिवार, शनि महाराज, संकट मोचन धाम, राधाकृष्ण, मां भगवती, काली माता और विष्णु भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर कच्ची मिट्टी के ईंटों से निर्मित है।

श्रावण मास में महादेव का शृंगार पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सोमवार को महादेव का जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। – संतोष गिरि, पुजारी।

प्राचीन मंदिर का शिवलिंग भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहता है। यहां पर श्रावण मास के सोमवार को मेले जौसा नजारा देखने को मिलता है। भक्त दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। – बाल किशन गुप्ता, सेवक।

 

 

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