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Razakar Teaser:चर्चित हैदराबाद नरसंहार पर बनी फिल्म  ‘रजाकार’ पर छिड़ा विवाद, ‘द कश्मीर फाइल्स’ से की जा रही तुलना

जी पी अवस्थी, Network Today 27seb2023, time 11:05

तेलुगू फिल्म ‘रजाकार’ का टीजर आखिर कार रिलीज हो गया है। आपको बतादे की ये फिल्म भारत के इतिहास की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। टीजर रिलीज के साथ ही ‘रजाकार’ फिल्म पर  बवाल बढ गया है सोशल मीडिया पर शुरू हुई खींच-तान। ये फिल्म भारत के इतिहास की सच्ची घटनाओं पर आधारित है।तेलुगू फिल्म निर्माता निर्देशक नारायण रेड्डी की फ़िल्म *रजाकर* का रोंगटे खड़े कर देने वाला *ट्रेलर* रिलीज हो गया है अनकही, छिपी हुई सामूहिक नरसंहार, बलात्कार और *इस्लामिक* धर्मांतरण जिसे जानबूझकर मुख्यधारा के इतिहास के पन्नों से बाहर रखा गया था. ये कहानी है आजाद भारत के पहले हिंदू नरसंघार की।यह फ़िल्म तेलुगू, तमिल, कन्नड़, और हिंदी में रिलीज होगी ।।

टीजर की शुरुआत में कहा जाता है कि 15 अगस्त, 1947 को हिंदुस्तान को अंग्रेजों से स्वतंत्रता तो मिली, लेकिन हैदराबाद आजाद नहीं हो पाया था। वहां निजाम का शासन था, एक इस्लामी शासन जिसने बर्बरता की सारी हद पार कर दी थी । इतिहास के पन्नों में दबी हैदराबाद नरसंहार की कहानी कहती इस फिल्म को लेकर सिने दुनिया से लेकर राजनतिक घरानों में भी गहमागहमी बढ़ गई है।

सोशल मीडिया पर जहां एक धड़ा इसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद हिंदुओं पर हुए अन्याय का सच दिखाती एक और फिल्म बताया जा रहा है, वहीं कई लोगों का कहना है कि यह देश के सौहार्द और समाज की समरसता के लिए घातक साबित हो सकती है।

देखिये ये ट्रेलर रजाकार का👇

 

रोंगटे खड़े कर देगा ट्रेलर 
ट्रेलर कि बात करे तो, फिल्म के 1 मिनट 43 सेकेंड के ट्रेलर में ऐसे कई बर्बर सीन हैं, जिन्हें देखकर रूह कांप जाए। इसमें दिखाया गया है कि कैसे निजाम के शासन को कायम रखने के लिए कासिम रिजवी ने हर घर पर इस्लामी झंडा लगाने का आदेश दिया। ट्रेलर में ‘रजाकार’ बार-बार यह कहते हुए दिखते हैं कि हैदराबाद इस्लामी राज्य है। इसमें एक डायलॉग है, ‘चारों तरफ मस्जिदें बनाई जानी चाहिए। हिन्दुओं का जनेऊ काट कर आग लगा दिया जाना चाहिए।’

चलिये जानते है कि  कौन थे हैदराबाद के रजाकार?
निजाम के शासन काल में हैदराबाद राज्य में ‘रजाकार’ राष्ट्रवादी पार्टी के एक स्वयंसेवी अर्धसैनिक बल थे। 1938 में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन नेता बहादुर यार जंग द्वारा गठित इस अर्धसैनिक बल का आजादी के समय कासिम रिजवी की लीडरशिप में खूब विस्तार हुआ था। तत्कालीन हैदराबाद के भारतीय संघ में एकीकरण के बाद कासिम रिजवी को जेल में डाल दिया गया था। बाद में, उन्हें पाकिस्तान जाने की इजाजत दे दी गई, जहां उन्हें शरण दी गई। ‘रजाकार’ फौजी की वेशभूषा में रहते थे और हिन्दुओं पर अत्याचार करने के लिए उनकी खूब आलोचना हुई थी।

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