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पीएम मोदी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने शुरुआती संबोधन में सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे प्रवासी भारतीयों का डेढ़ करोड़ भारतीयों की तरफ से अभिनंदन किया। पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है, मनुष्य मात्र ही हमारा बंधु-बांधव है। इसी वैचारिक बुनियाद पर हमारे पूर्वजों ने भारत के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था। बता दें, करीब 4 वर्षों के बाद प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन एक बार फिर अपने मूल स्वरूप में अपनी पूरी भव्यता के साथ हो रहा है।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम में शामिल हुए प्रवासी भारतीयों को लेकर कहा, प्रत्येक प्रवासी भारतीय अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के साथ अपने देश की माटी को नमन करने आया है। यह प्रवासी भारतीय सम्मेलन मध्य प्रदेश की उस धरती पर हो रहा है जिसे देश का हृदय क्षेत्र कहा जाता है। एमपी में मां नर्मदा का जल, यहां का जंगल, आदिवासी परम्परा, यहां का आध्यात्म ऐसा कितना कुछ है जो आपकी इस यात्रा को अविस्मरणीय बनाएगा।
पीएम मोदी ने ध्यान दिलाते हुए कहा, अभी हाल ही में पास ही उज्जैन में भगवान महाकाल के महालोक का भी भव्य और दिव्य विस्तार हुआ है। इसी के साथ उन्होंने सम्मेलन में शामिल हुए प्रवासी भारतीयों से भगवान महाकाल के आशीर्वाद के साथ अद्भुत अनुभव लेने को कहा।
‘स्वच्छता के साथ-साथ स्वाद की राजधानी है इंदौर’
आगे जोड़ते हुए पीएम मोदी ने इंदौर की तारीफ की। इस संबंध में उन्होंने कहा, लोग कहते हैं कि इंदौर सिर्फ एक शहर है, लेकिन मैं कहता हूं कि इंदौर एक दौर है। यह वो दौर है जो समय से आगे चलता है, फिर भी विरासत को समेटे रहते है। इंदौर ने स्वच्छता के क्षेत्र में देश में एक अलग पहचान स्थापित की है। खाने-पीने के लिए इंदौर देश ही नहीं पूरी दुनिया में लाजवाब है। पीएम मोदी ने इंदौर के खानपान का जिक्र करते हुए कहा, इंदौरी नमकीन का स्वाद, पोहे का पैशन, साबूदाने की खिचड़ी, कचौरी, समोसे, शिकंजी जिसने भी इसे देखा उसके मुंह का पानी नहीं रुका और जिसने इसे चखा उसने कहीं और मुड़कर नहीं देखा। इसी तरह 56 दुकान तो प्रसिद्ध है ही, सराफा भी महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि कुछ लोग इंदौर को स्वच्छता के साथ-साथ स्वाद की राजधानी भी कहते हैं। पीएम मोदी ने इंदौर में कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रवासी भारतीय को लेकर कहा, मुझे विश्वास है कि यहां के अनुभव आप खुद भी नहीं भूलेंगे और वापस जाकर दूसरों को यहां के बारे में बताना भी नहीं भूलेंगे।
‘हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है’
पीएम मोदी ने कहा, हमारे यहां कहा जाता है ‘स्वदेशो भुवनत्रयम्’ अर्थात हमारे लिए पूरा संसार ही हमारा स्वदेश है, मनुष्य मात्र ही हमारा बंधु-बांधव है। इसी वैचारिक बुनियाद पर हमारे पूर्वजों ने भारत के सांस्कृतिक विस्तार को आकार दिया था। हम दुनिया के अलग-अलग कोनों में गए, हमने सभ्यताओं के समागम के अनंत संभावनाओं को समझा, हमने सदियों पहले वैश्विक व्यापार की असाधारण परंपरा शुरू की थी। हम असीम लगने वाले समंदरों के पार गए। अलग-अलग देशों, अलग-अलग सभ्यताओं के बीच व्यावसायिक संबंध कैसे साझी समृद्धि के रास्ते खोल सकते हैं, भारत ने और भारतीयों ने करके दिखाया।
‘प्रवासी भारतीयों को जब global map पर देखते हैं, तो कई तस्वीरें एक साथ उभरती हैं’
आज अपने करोड़ों प्रवासी भारतीयों को जब हम ग्लोबल मैप पर देखते हैं तो कई तस्वीरें एक साथ उभरती है। दुनिया के इतने अलग-अलग देशों में जब भारत की लोग एक कॉमन फैक्टर की तरह दिखते हैं तो वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साक्षात दर्शन होते हैं। दुनिया के किसी एक देश में जब भारत के अलग-अलग प्रांतों और अलग-अलग क्षेत्रों के लोग मिलते हैं तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सुखद अहसास भी होता है। दुनिया के अलग-अलग देशों में जब सबसे शांति प्रिय लोकतांत्रिक और अनुशासित नागरिकों की चर्चा होती है तो मदर ऑफ डेमोक्रेसी होने का भारतीय गौरव अनेक गुना बढ़ जाता है और जब हमारे इन प्रवासी भारतीयों के योगदान का विश्व आंकलन करता है तो उसे सशक्त और समर्थ भारत की आवाज सुनाई देती है।