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ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आखिर चीन की कंपनी के निर्यात के भुगतान भारत में स्थित कंपनी में करने का क्या औचित्य है। जून में लखनऊ में पीएफआइ के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में इसी तरह से ओमान से एक करोड़ रुपये हासिल करने वाले को आरोपी बनाया है।
नई दिल्ली। विदेशी फंडिंग हासिल करने के लिए पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) ने नायाब तरीका ढूंढ लिया था, लेकिन ईडी की नजरों से वह बच नहीं पाया। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि विदेशी फंडिंग नहीं हासिल करने का पीएफआइ का दावा पूरी तरह झूठा है और जांच में यह साबित भी हो गया है। ध्यान देने की बात है कि देश में विभिन्न भागों में हुए दंगे में पीएफआइ की संलिप्तता के आरोप है।
पिछले दिनों पटना में 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के मंसूबे के मामले में भी पीएफआइ की भूमिका सामने आई है और एनआइए इसकी जांच कर रही है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पीएफआइ सीधे अपने खाते में विदेशी फंडिंग हासिल करने के बजाय इसे अपने समर्थकों के खाते में रेमीटेंस (भुगतान) के रूप में मंगवाता रहा है।
खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं और भारत में परिवार वालों को भी धन भेजते थे। इसी की आड़ में पीएफआइ ने गल्फ में अपने समर्थकों की मदद से कई कमेटियां बना रखी हैं। इन कमेटियों का काम वहां पीएफआइ के धन इकट्ठा करना है। इस तरह से जुटाए गए फंड को भारत भेज दिया जाता है। भारत में बैठे पीएफआइ के लोग इस पैसे को बैंक से कैश में निकालकर पीएफआइ के खाते में जमा करा देते हैं। फिर पीएफआइ दावा करता था कि यह पैसे उसके समर्थकों ने दिया है।
बताया जाता है कि 2019-20 तक ही लगभग 120 करोड़ रुपये की फंडिंग इसी तरह हुई है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पीएफआइ को चीन से भी बड़ी मात्रा में फंडिंग होती रही है। चीन से फंड हासिल करने के लिए पीएफआइ ने नया तरीका ढूंढ लिया था। इसके तहत खाड़ी देशों में चीन से निर्यात होने वाले सामान का भुगतान भारत में स्थित कंपनियों में कर दिया जाता था, जबकि उसका भुगतान चीन स्थित निर्यात करने वाली कंपनी के खाते में होना चाहिए। ये कंपनियां दिखाती थीं कि वह चीनी कंपनी को सेवा दे रही हैं।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आखिर चीन की कंपनी के निर्यात के भुगतान भारत में स्थित कंपनी में करने का क्या औचित्य है। जून महीने में लखनऊ में पीएफआइ के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में ईडी ने इसी तरह से ओमान से एक करोड़ रुपये हासिल करने वाले को आरोपी बनाया है। उन्होंने कहा कि यह अकेला मामला नहीं है और चीन से फंडिंग के कई मामले सामने आ रहे हैं। विदेशी फंडिंग के साथ-साथ पीएफआइ के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर फर्जी फंडिंग के मामले भी सामने आए हैं। उनके अनुसार पीएफआइ ने जिन लोगों से पैसे मिलने का दावा किया है, उनमें से कई लोगों से पूछताछ की गई। लेकिन इन लोगों को न तो पीएफआइ को पैसे देने की बात मालूम थी और न ही उनकी आर्थिक स्थिति पैसे देने की है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जांच के बाद पीएफआइ के 23 बैंक खाते और रिहैब इंडिया फाउंडेशन के 10 एकाउंट में जमा लगभग 70 लाख रुपये को जब्त किया गया है।