श्रीलंका में आपातकाल हटाने के बाद भी सरकार पर मंढरा रहा खतरा, राष्ट्रपति राजपक्षे को सता रहा सत्ता जाने का डर

कोलंबो। श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर वहां के राष्ट्रपति ने आपातकाल हटाने का फैसला किया है। बीते दिनो दर्जनों सांसदों के इस्तीफा देने के बाद राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया है। वहीं राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को अब सत्ता जाने का खतरा सता रहा है क्योंकि उनके सांसद ही उनका साथ छोड़ रहे हैं और यहां तक की नवनियुक्त वित्त मंत्री अली साबरी ने भी केवल 24 घंटे के भीतर ही इस्तीफा दे दिया है।

गिर सकती है सरकार

बता दें कि सबसे बड़े आर्थिक संकट में फसे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने चौतरफा हमला झेलने के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं देने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे लेकिन संसद में जो भी पार्टी बहुमत साबित करेगी वह उसे सत्ता सौंप देंगे। बता दें कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने वर्ष 2020 में हुए आम चुनावों में 150 सीटें जीती थीं लेकिन अब देश में आए संकट के बाद कई सांसदों ने उनसे समर्थन वापस ले लिया है। अब राजपक्षे सरकार के सांसदों की संख्या 113 से भी कम हो गई है जिसके बाद सरकार के बने रहने पर बादल मढ़रा रहे हैं। गौरतलब है कि श्रीलंका के सदन में 225 सदस्य होते हैं।

आर्थिक हालात बेहद खराब, लोगों में गुस्सा

श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के चलते वहां के हालात बद से बदतर हो गए हैं। देश में तेल के दाम आसमान पर हैं और वहीं 13 घंटों तक की बिजली कटोती की जा रही है। इसी के चलते वहां के लोगों में गुस्सा चरम पर है और जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। वहीं सरकार का कहना है कि यह सब वैश्विक महामारी कोरोना के चलते हुआ है जिसमें पर्यटन पर लगी रोक के कारण विदेशी मुद्रा की कमी आई है।

भारत ने की 250 करोड़ की मदद

आर्थिक संकट झेल रहे श्रीलंका को भारत से काफी मदद मिली है। भारत ने श्रीलंका के आग्रह पर जनवरी से अब तक कुल 250 करोड़ की मदद की है। भारत सरकार ने जहां 40 हजार मीट्रिक टन डीजल श्रीलंका भेजा है वहीं अतिरिक्त 20 हजार टन तेल की मदद देने की कवायद भी तेज कर दी है। भारत सरकार ने साथ ही यह साफ कर दिया है कि वह अपने पड़ोसी देश के साथ हमेशा साथ खड़ा रहेगा।

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