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दुनिया में कई देशों के बीच बढ़ते आपसी गतिरोध के बीच रूस ने भारत से अपनी मित्रता की एक और मिशाल पेश कर अपना वादा पूरा किया है। रूस ने स्क्वाड्रन-400 की तीसरी यूनिट भारत पहुंचा दिया है। यह स्क्वाड्रन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है। इससे पहले दिसंबर 2021 में पहली एस-400 भारत को मिली थी, इसे पठानकोट में पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया गया है। इसके बाद दूसरी एस-400 अप्रैल 2022 में भारत आई थी। इस उत्तरी पूर्व में चीन सीमा के पास सिलीगुड़ी में तैनात किया गया है। माना जा रहा है रूस से मिली तीसरी एस-400 यूनिट पंजाब या राजस्थान में पाकिस्तान सीमा के आसपास तैनात किया जा सकता है।
चार सौ किलोमीटर तक का टारगेट में
रूस की एस-400 मिसाइल सिस्टम की एक रेजिमेंट में आठ ट्रक लॉन्चर होते हैं। हर ट्रक में चार लॉन्चर लगे होते हैं। एक बार में चार मिसाइलें दागी जा सकती है। इस तरह से एक रेजिमेंट में 32 मिसाइलें होती हैं। भारत के पास ऐसे तीन रेजीमेंट होने से देश की राजधानी दिल्ली और सीमाओं की सुरक्षा मजबूत हो जाएंगी। इससे चार सौ किलोमीटर तक का लक्ष्य भेदा जा सकता है। दरअसल, वर्ष 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष के 2023 के अंत तक भारत को पांच एस-400 स्क्वाड्रन देने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर का अनुबंध किया था। इसके तहत अब तक तीन एस-400 भारत को दे चुकी है।
8 सदस्यों की टीम रूस में ले चुकी है प्रशिक्षण
अगले माह रूस से अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तीसरी खेप भारत को मिलने वाली है। सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। भारतीय वायुसेना के 8 सदस्यों की एक टीम रूस में एस-400 का प्रशिक्षण ले चुकी है और भारत आकर अन्य कर्मियों के लिए एस-400 प्रणाली पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू कर दिया है। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को रूस में बने इस ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की बहुत जरूरत थी।
पांच एयर डिफेंस सिस्टम का है करार
भारत ने रूस के साथ पांच एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर यानि 40 हजार करोड़ रुपए में सौदे किया था, जिसे रूस और भारत के रक्षा मंत्रियों ने 06 दिसम्बर को अंतिम रूप दिया था। भारतीय वायुसेना को एस-400 ‘ट्रायम्फ’ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) अक्टूबर, 2023 तक मिलनी हैं। भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने जल्द से जल्द सभी यूनिट की आपूर्ति करने का भरोसा दिया था। इतना ही नहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा के दौरान ही एस-400 की पहली खेप दिसंबर, 2021 में भारत को मिली थी, जिसे पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है।
रूस ने समय पर आपूर्ति का दिया भरोसा
इस बीच यूक्रेन से युद्ध शुरू हो जाने पर रूस से मिलने वाले एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की आपूर्ति पर संकट के बादल गहराने लगे थे, लेकिन रूसी रक्षा मंत्रालय से भरोसा दिया गया कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं। आगे भी बेहतर रहेंगे, इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। यही वजह रही कि यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने भारत को अप्रैल में डिफेंस सिस्टम एस-400 की दूसरी खेप आपूर्ति की और अब वायु सेना को तीसरा एस-400 स्क्वाड्रन हासिल हुआ है।
मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खासियत
– यह डिफेंस मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बनाकर दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को नष्ट कर सकते हैं।
– इस डिफेंस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब 400 किलोमीटर है। यानि अगर दुश्मन की मिसाइल किसी विमान या संस्थान पर हमले करने की कोशिश करेगी, तो यह मिसाइल सिस्टम 400 किमी. दूर से ही नेस्तनाबूद करने में सक्षम है।
– यह एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला बोल सकती है।
– सतह से हवा में मार करने वाली यह रूसी मिसाइल प्रणाली 400 किमी. तक की दूरी और 30 किमी. तक की ऊंचाई पर लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है।