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जम्मू कश्मीर में अगले साल दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावशाली समूह जी-20 (G-20 Meetings in India) शिखर सम्मेलन की बैठक करने के भारत के फैसले का पाकिस्तान और चीन ने विरोध किया था. अब केंद्र सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा है कि ये बैठकें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भी होंगी. मई 2020 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. सरकार का अब लद्दाख में जी-20 बैठकों कराने के प्रस्ताव से साफ पता चलता है कि वह चीन को कड़ा संदेश देना चाहती है. भारत इस साल 1 दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा.
विदेश मंत्री एस जयशंकर 7 और 8 जुलाई को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने के लिए इंडोनेशिया के बाली जा रहे हैं. लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने विदेश मंत्रालय के साथ समन्वय करने के लिए मंडलायुक्त सौगत बिस्वास और लेह-कारगिल रेंज के डीआईजी जुनैद महमूद के नामांकन को नोडल अधिकारी के रूप में मंजूरी दे दी है, जिसमें जी -20 सचिवालय है. बता दें जी-20 देशों में यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की शामिल हैं.
अब भारत के किस प्रस्ताव का विरोध कर रहा है चीन?
ऐसे में भारत सरकार का ये फैसला चीन को नागवार गुजर रहा है. चीन ने भारत सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध कर दिया है और कहा है कि कोई भी पक्ष एकतरफा यथास्थिति को नहीं बदले. इससे पहले भारत सरकार G20 सम्मेलन को जम्मू कश्मीर में आयोजित किए जाने के प्रस्ताव की खबर आने पर चीन और पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था.
इस बीच विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने बाली पहुंच चुके हैं. यहां पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मुलाकात चीनी विदेश मंत्री से हुई और उन्होंने उनके साथ मिलकर सीमा विवाद का मामला उठाया और चीन सीमा से पूरी तरह से अपनी फौज वापस बुलाने की मांग दोहराई.
भारत को कब मिलेगी G20 की अध्यक्षता?
गौरतलब है कि चीन (China) भी G20 का अहम हिस्सा है. लिहाज़ा विरोध के बावजूद भी चीन G20 बैठक का बहिष्कार भी नहीं कर सकता है ऐसे में चीनी राष्ट्रपति का लद्दाख (Ladakh) या जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) पहुंचना उनकी मजबूरी हो जाएगी. भारत को G20 की अध्यक्षता 1 दिसंबर से मिलने वाली है. जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाए जाने और लद्दाख को अलग यूनियन टेरिटरी (Union territory) बनाए जाने के बाद ये पहला बड़ा सम्मेलन होगा और इसे चीन को सबक के तौर पर देखा जा रहा है.