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DECEMBER 3, 2022
नगर निगम चुनाव के लिए वार्डो की आरक्षण सूची जारी कर दी गई है। प्रदेश के सभी वार्डों की आरक्षण सूची पर शासन की मुहर लग गई है। नगर निगम से भेजी गई रिपोर्ट को आधार बनाकर यह सूची जारी की गई है। इससे कई दावेदारों निराश है। जबकि कई पूरे उत्साह से मैदान में डट गए हैं। वही कुछ पत्नियों को मैदान में उतारने की तैयारी में लग गये है। कई वार्डों के आरक्षण को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।
बिना जनगणना के आरक्षण पर उठे सवाल
पूर्व में आरक्षण का आधार जनगणना को माना जाता रहा है। कोरोना के चलते 2021 की होने वाली जनगणना नहीं हो सकी है। आरक्षण के लिए रैपिड सर्वे कराये जाने की जानकारी भी सामने नहीं आई है। जानकारी के मुताबिक 2017 का रैपिड सर्वे भी चक्रानुक्रम आरक्षण के लिए आधार बनाया गया था। इस बार इसे भी प्रकाशित नहीं किये जाने की चर्चा है। हालांकि इससे पहले हर 10 साल में परिसीमन, जनगणना और हर 5 साल में रैपिड सर्वे किया जाता रहा है। इसके बाद आरक्षण निर्धारित किया जाता रहा है।
15 वर्षों से भाजपा का है कब्जा
बात यदि कानपुर नगर निगम की करें तो यहां पर पिछले 15 वर्षों से लगातार भाजपा काबिज है। नगर निगम सदन में कुल 110 पार्षदों की सीट है। जिनमें से भाजपा के सर्वाधिक 65 पार्षद हैं। जबकि कांग्रेस के 18 पार्षद है। सपा के कई पार्षद विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेसी हों गये थे। इसलिए सपा, बसपा और निर्दलीय पार्षद लगभग बराबर संख्या में है।
कई वार्ड हुये सामन्य से पिछड़ा
आरक्षण सूची पर सवाल उठने लगे है। पार्षद उम्मीदवारों का कहना है, कि वार्ड-29 ओमपुरवा 2012 में ओबीसी था। 2017 और 2022 में यह सीट सामान्य कर दी गई। यहां साढ़े 17 फीसदी पिछड़ी जाति की आबादी है। इसी तरह वार्ड-58 तिवारीपुर में करीब 18 फीसदी पिछड़ी आबादी है। यह सीट 2012, 2017 और 2022 में सामान्य रही। वार्ड-85 लाजपतनगर में भी 18 फीसदी पिछड़ी जाति की आबादी है लेकिन यह तीसरी बार भी सामान्य घोषित की गई। वार्ड- 91 शास्त्रीनगर सामान्य से पिछड़ा घोषित किया गया।