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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में हुई समीक्षा

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कानपुर। परिवार कल्याण कार्यक्रम की सुविधाओं को समुदाय तक पहुंचाने के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन की बेहद आवश्यक है। परिवार नियोजन के लिए बास्केट ऑफ चॉइस यानि स्थायी और अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की पहुँच बढ़ाना जरूरी है। नवीन व आधुनिक गर्भ निरोधक साधनों के उपयोग से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। यह बातें अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, डॉ जीके मिश्रा ने शुक्रवार को जिला अस्पताल सभागार में एक दिवसीय परिवार नियोजन की मंडलीय समीक्षा बैठक में कहीं।

अपर निदेशक ने कहा कि परिवार नियोजन की सेवाओं में कमी आने में कम उम्र की महिलाओं की शादी होना, उच्च जोखिम गर्भावस्था, पोषण में कमी और कम उम्र में बच्चों को जन्म देना बाधक साबित होती हैं। वर्तमान में जारी हुये राष्ट्रीय फॅमिली हेल्थ सर्वेक्षण (एनएफ़एचएस), सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वेक्षण (एसआरएस) और हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के अनुसार में गर्भ निरोधक साधनों में निरंतर गुणवत्तापूर्ण सुधार हुआ है। लेकिन हमें जमीनी स्तर पर सुविधाओं के लिए मोनिट्रिंग, निरीक्षण और समीक्षा करना बेहद आवश्यकता है।

एनएफ़एचएस-5 (2019-21) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 15 से 19 साल के आयु वर्ग में एमसीपीआर 20.4%, पारंपरिक/आधुनिक साधन 9.8% और अनमेट नीड 18.7% है। वहीं 20 से 24 साल के आयु वर्ग में एमसीपीआर, पारंपरिक/आधुनिक साधन और अनमेट नीड क्रमशः 28.6%, 13.6% एवं 18.6% है। यूपी में 96 फीसदी बच्चों का जन्म 36 महीने (प्रीमेच्योर) में हो रहा है और 18 लाख शादी कम उम्र में हो रही हैं। इसके सापेक्ष करीब 48 फीसदी गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया जा रहा है। एनएफ़एचएस-4 (2015-16) के अनुसार पूरे यूपी में 71 करोड़ लोगों ने गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग किया वहीं एनएफ़एचएस-5 में 74.5 करोड़ लोगों ने उपयोग किया। इस तरह से देखा जा सकता है कि यूपी में गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग बढ़ा है। इस मौके पर परिवार कल्याण कार्यक्रम सुदृढ़ीकरण व जनसंख्या नीति 2021-30 पर रणनीतियों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होने कहा कि जनसंख्या नीति 2021-30 का मुख्य उद्देश्य – प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्य को हासिल करना, मातृ मृत्यु और रुग्णता को खत्म करना, जन्म से पाँच वर्ष तक के नवजात, शिशु और बाल मृत्यु दर में निरंतर कमी लाना और पोषण स्तर में सुधार लाना, किशोरावस्था के लिए यौन, प्रजनन स्वास्थ्य व पोषण में सुधार लाना एवं वृद्धजन की देखभाल और उनके कल्याण में सुधार लाना है।

इसके साथ ही लखनऊ यूपीटीएसयू से आये वरिष्ठ विशेषज्ञ बृजेश कुमार और अनुपम आनंद ने कानपुर मंडल की परिवार कल्याण की उपलब्धियों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया की ज़रूरत है की परिवार नियोजन की अपूरित आवश्यकता यानी अनमेट नीड को कम किया जाये। इस कार्यशाला में मंडलीय एफपीएलएमआईएस प्रबंधक अर्जुन व कानपुर सहित मण्डल के सभी जनपदों से सीएमओ, एसीएमओ, समस्त मंडलीय व जिला कार्यक्रम प्रबन्धक एवं जनपदों के एफ़पीएलएमआईएस मैनेजर तथा जिला परिवार नियोजन सलाहकारों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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