कानपुर। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की कराचीखाना शाखा के लाकर को तोड़कर करोड़ों के जेवरात पार करने की घटना के मास्टर माइंड बैंक मैनेजर और लाकर इंचार्ज ही निकले। शुक्रवार को कमिश्नरेट पुलिस ने अधिकृत रूप से स्वीकार कर लिया कि इस सनसनीखेज वारदात में बैंक मैनेजर, लाकर इंचार्ज और लाकर कंपनी के कर्मचारी शामिल थे। पुलिस ने बैंक मैनेजर, लाकर कंपनी का कर्मचारी और उसके दो सहयोगियों को हिरासत में लिया है। लाकर कंपनी के कर्मचारी ने पूछताछ में वारदात को करना स्वीकार कर लिया है। उसने बताया कि यह वारदात निष्प्रयोज्य लाकर काटने के दौरान अंजाम दी गई। साथ ही यह भी बताया है कि उसे इस काम के लिए 300 ग्राम सोना दिया गया था, जिसमें उसने दक्षिण क्षेत्र के कुछ ज्वैलर्स को बेच दिया था। पुलिस इन ज्वैलर्स पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में हैं।

14 मार्च को मंजू भट्टाचार्य नाम की एक महिला लाकर धारक ने पुलिस में शिकायत की थी, कि उनके तीस लाख रुपये कीमत के जेवर लाकर से चोरी हो गए हैं। एक के बाद ऐसे आठ और मामले सेंट्रल बैंक की कराचीखाना शाखा में सामने आए, जबकि गुरुवार को फूलबाग की बैंक आफ इंडिया शाखा से भी एक लाकर से 45 लाख रुपये के जेवर चोरी होने का मामला प्रकाश में आया था। अनुमान है कि इन दसों मामलों में करीब चार करोड़ के जेवरात चोरी हुए। मुकदमा दर्ज करके जांच एसआइटी के हवाले की गई थी। पुलिस ने इस मामले में बैंक मैनेजर रामप्रसाद, लाकर संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारी चंद्रप्रकाश, उसके दो साथी करकराज व राकेश को हिरासत में पूछताछ की है, जिससे केस काफी कुछ खुल गया है।

नियमों को ताक पर रखकर निष्प्रयोज्य लाकर तोडऩे की आड़ में की वारदात

डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल और एसपी पूर्वी प्रमोद कुमार सिंह ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि जब एसआइटी ने जांच शुरू की तो बैंक के रजिस्टर व अन्य रिकार्ड में असमानताएं मिली। जांच में सामने आया कि नौ दिसंबर 2021 को 29 निष्प्रयोज्य लाकर तोड़े गए थे। उस दिन की सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो बैंक मैनेजर राम प्रसाद, लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय व लाकर कंपनी का चंद्रप्रकाश व तीन अन्य लाकर रूम में जाते दिखाई दिए।

डीसीपी क्राइम ने बताया कि आरबीआइ के नियमों के मुताबिक निष्प्रयोज्य लाकर तोडऩे में एक कमेटी बनती है, जिसमें बैंक के दो वरिष्ठ अफसर, क्षेत्र के दो ऐसे सम्मानित नागरिक जिनका बैंक से कोई लेनादेना न हो और एक लीगल एडवाइजर की पांच सदस्यीय कमेटी बनती है, पर बैंक मैनेजर रामप्रसाद ने नियम ताक पर रखकर स्वयं, लाकर इंचार्ज के अलावा एक महिला बैंक अधिकारी स्वाती, एडवोकेट लालमणि मिश्रा, कृष्ण ज्वैलर्स के कमलेश मिश्रा और दो ग्राहक अब्दुल वसीम खान, रितिका को शामिल कर सात सदस्यीय समिति बनाई। मगर, लाकर तोडऩे के दौरान इनमें कोई नहीं था। लाकर तोडऩे के लिए गोदरेज कंपनी के द्वारा अधिकृत कंपनी पैन कामर्शियल को लाकर संबधित मेंटीनेंस संबधित कार्य के लिए अधिकृत किया गया था। पैन कामर्शियल ने चंद्रप्रकाश नाम के कर्मचारी को अधिकृत किया। नियमों के अनुसार वही लाकर रूम के अंदर जा सकता था, लेकिन बैंक मैनेजर ने चंद्रप्रकाश से संबंध न रखने वाले करनराज, राकेश एवं रमेश को लाकर रूम के भीतर लाकर तोडऩे के लिए जाने की अनुमति दी। यह सभी सीसीटीवी फुटेज में दिखाई पड़े हैं।

दस से बाहर लाकर में मिले जेवर, रिकार्ड में चढ़ाए केवल तीन

पुलिस नेे जब चंद्रप्रकाश में हिरासत में लेकर पूछताछ की तो वह टूट गया। उसने पुलिस को बताया कि 9 दिसंबर को कौन-कौन से लाकर के ताले उसने तोड़े थे। उसने बताया कि उस दिन 29 लाकर तोड़े गए थे, जिनमें से दस से बारह लाकरों में जेवरात निकले थे, मगर बैंक के रिकार्ड में केवल तीन लाकर से जेवर निकलने की बात सामने आई है। चंद्रप्रकाश से पूछताछ में यह भी सामने आया कि उस दिन उसने 29 लाकर ही तोड़े थे, लेकिन निष्प्रयोज्य लाकर नंबर के स्थान पर एक्टिव लाकर वाले लाकर तोड़ डाले गए। यानी, तोडऩा था लाकर नंबर 100, लेकिन तोड़ा लाकर नंबर 110। मगर, रिकार्ड में लाकर नंबर 100 तोडऩा ही दर्शाया गया और दिखा दिया गया कि उसमें कुछ भी सामान बरामद नहीं हुआ।

पतले तार से जाना किस लाकर में कितना सोना

बैंक लाकर काफी गहराई में बने होते हैं। किस लाकर में कितना सोना है, इसका अंदाजा लगाने के लिए पतले तार का प्रयोग किया गया। तार को चाबी के रास्ते अंदर डाला गया। तार के अंदर जाने से वह अंदर रखे सामान से टकराया, जिससे अंदाजा लगा किया कि कितनी गहराई तक जेवर रखे हुए हैं या लाकर खाली है। जिनमें ज्यादा जेवर होने का अंदाजा हुआ, उन्हें ही तोड़ा गया।

दस हजार पेशगी के अलावा मिला 300 ग्राम सोना

कनकराज ने बताया कि उसे इस काम के लिए दस हजार रुपये मिले थे। बाद में एक लाख रुपये देने का वायदा किया गया था। जबकि, चंद्रप्रकाश को 250-300 ग्राम सोने के आभूषण दिये गये थे। चंद्रप्रकाश ने भी पूछताछ में स्वीकार किया कि उसे जो जेवर दिये गये थे उसने दो ज्वैलरों के यहां 35 हजार रुपये प्रति दस ग्राम के हिसाब से बेच दिये। इससे मिली रकम से उसने गुजैनी, जहां का वह रहने वाला था, वहां की सेंट्रल बैंक शाखा में पांच लाख रुपये की एफडी बनवाई है। अभियुक्तों में शामिल रमेश लाकर कर्मचारी चंद्रप्रकाश का भाई है और फरार है।

एक लाकर धारक अड़ा तो उसकी कर दी भरपाई

पुलिस जांच में सामने आया है कि इस प्रकरण में जिस तरह से सीता देवी को बैंक ने धमकाकर भगा दिया था, वहीं एक और लाकर धारक था तो अड़ गया। वह पुलिस में जा रहा था। ऐसे में बात दबाने के लिए बैंत मैनेजर व लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय ने जितने के जेवर वह बता रहा था, उसकी रकम से भरपाई कर दी। उससे कहा कि अगर वह पुलिस के पास गया तो उनकी नौकरी चली जाएगी, इसलिए वह अपने पास से भरपाई कर रहे हैं। पैसा मिलने से लाकर धारक ने शिकायत नहीं की।

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