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नई दिल्ली । शनि देव : सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी मानी जाती है। क्योंकि इस ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में करीब ढाई साल का समय लग जाता है। 29 अप्रैल को शनि ने मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश किया था और इस राशि में शनि की उपस्थिति 29 मार्च 2025 तक रहेगी। इस बीच कुछ समय के लिए शनि फिर से मकर राशि में गोचर करेगा। मकर राशि में गोचर की अवधि करीब 6 महीने की रहेगी। लेकिन इसके बाद ये 2025 तक कुंभ राशि में ही रहेगा। ये अवधि कुंभ राशि वालों के लिए सबसे कष्टदायी मानी जाती है।
-29 अप्रैल 2022 से 11 जुलाई 2022 तक शनि कुंभ राशि में रहेगा।
-12 जुलाई 2022 से 16 जनवरी 2023 तक शनि मकर राशि में रहेगा।
-17 जनवरी 2023 से 29 मार्च 2025 तक शनि कुंभ राशि में गोचर रहेगा।
-इसके बाद गुरु की राशि मीन में प्रवेश कर जायेगा।
ये अवधि कुंभ राशि वालों के लिए क्यों है कष्टदायी: ज्योतिष अनुसार जिन लोगों पर शनि साढ़े साती चलती है उन्हें या तो तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है या फिर उनका जीवन सुखों से भर जाता है। अर्थात जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि जिस स्थिति में होगा उसे वैसे ही फल शनि साढ़े साती के दौरान प्राप्त होंगे। शनि साढ़े साती के तीन चरण होते हैं जिनमें इनका दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टदायी माना जाता है। जो इस समय कुंभ राशि वालों पर चल रहा है। कहते हैं इस चरण में शनि साढ़े साती अपने शिखर पर होती है। इसलिए इस दौरान विशेष सावधानी बरतनी की सलाह दी जाती है। कुंभ वालों को अगले ढाई साल बेहद ही सतर्क रहना होगा।