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हाइलाइट्स
- तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों के साथ बातचीत करके घिरे जनरल बाजवा ने नई चाल चली है
- जनरल बाजवा और आईएसआई चीफ ने RAW का नाम लेकर अपने ही सरकार को डराया है
- पाकिस्तानी सेना ने कहा कि रॉ अब एक बार फिर से अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
इस्लामाबाद: पेशावर में पाकिस्तानी सेना के स्कूल पर हमला करके सैकड़ों बच्चों को मौत के घाट उतारने वाले तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों के साथ बातचीत करके घिरे जनरल बाजवा ने नई चाल चली है। जनरल बाजवा और आईएसआई चीफ ने भारत की खुफिया एजेंसी RAW का नाम लेकर अपने ही प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, वरिष्ठ मंत्रियों, नेताओं और सांसदों को डराया है। पाकिस्तानी सेना ने संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित बैठक में कहा कि रॉ अब एक बार फिर से अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है और यही वजह है कि टीटीपी से बातचीत करने में ही भलाई है।
टीटीपी के साथ डील को लेकर मंगलवार को हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में पाकिस्तानी सेना के इस चाल के बाद सांसदों ने टीटीपी आतंकियों के साथ शांति समझौते का औपचारिक समर्थन कर दिया। इससे पहले पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार और कई विपक्षी नेताओं ने तालिबान की मध्यस्थता में टीटीपी के साथ सेना की हो रही बातचीत का विरोध किया था। पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से इस बातचीत का नेतृत्व आईएसआई के पूर्व प्रमुख और पेशावर के कोर कमांडर फैज हामिद कर रहे हैं।
इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के साथ हाथ मिला सकता है टीटीपी
फैज हामिद ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सांसदों और नेताओं को पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया। पाकिस्तानी सेना ने बंद कमरे में हुई बैठक में दावा किया कि उसे डर है कि टीटीपी आतंकी इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत के आतंकियों के साथ हाथ मिला सकते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान इस आतंकी समूह के साथ शांति समझौता चाहता है। टीटीपी पर पाकिस्तान के हजारों लोगों की जान लेने का आरोप है। इस बैठक में इमरान खान को नहीं बुलाया गया था। जनरल फैज और जनरल बाजवा ने सांसदों और मंत्रियों की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब दिया।
इस पूरी बैठक के दौरान आईएसआई के वर्तमान चीफ भी मौजूद थे लेकिन वे ज्यादातर शांत रहे। आईएसआई चीफ कैमर से दूर रहते हैं, यही वजह है कि उन्हें कई सांसद पहचान भी नहीं पाए। इस बैठक में शामिल एक नेता ने कहा कि टीटीपी के आईएसकेपी से हाथ मिलाने की डर ही बातचीत की मुख्य वजह है। पाकिस्तानी सेना के नेतृत्व ने कहा कि अगर टीटीपी आईएसकेपी से हाथ मिलाता है तो यह पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक होगा। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ जरूर इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेगी।
‘भारत की खुफिया एजेंसी रॉ फिर से अफगानिस्तान में पैर पसार रही’
पाकिस्तानी सेना ने संसदीय समिति को यह भी बताया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ एक बार फिर से अफगानिस्तान में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रही है। इसलिए पाकिस्तान के लिए यह जरूरी है कि वह आतंकी तत्वों से बातचीत करे। पाकिस्तानी सेना ने यह भी दावा किया कि उन्होंने अफगानिस्तान में घुसकर टीटीपी के ठिकानों पर जो हमला किया, उसी वजह से तालिबान ने टीटीपी को बातचीत के लिए मजबूर किया। पाकिस्तानी सेना के डराने के बाद भी अब संसदीय समिति टीटीपी के साथ बातचीत की निगरानी करेगी।