सेंट्रल बैंक से एक-एक कर 11 लॉकर चोरी, ढाई करोड़ के गहने गायब, SIT जांच शुरू

कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर से चोरी की वारदातें खत्म होने का नाम नहीं ले रही. एक बार फिर से एक ग्राहक इसका शिकार बना है. एक-एक कर यह संख्या 11 तक पहुंच चुकी है.
कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर से चोरी की वारदातें खत्म होने का नाम नहीं ले रही. एक बार फिर से एक ग्राहक इसका शिकार बना है. एक-एक कर यह संख्या 11 तक पहुंच चुकी है. लुटे पिटे और परेशान ग्राहक बैंककर्मियों और पुलिसकर्मियों से अपने कीमती गहने चोरी होने पर जवाब तलब कर रहे हैं. लेकिन उन्हें कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा.

हालत यह है कि एक महीने के अंदर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कराची खाना की शाखा से 270 के करीब खोले गए लॉकरों से 11 लॉकर में करीब ढाई करोड़ के गहने चोरी हो चुके हैं. पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है. लेकिन जिनके कीमती गहने चोरी हुए हैं वो अब विरोध प्रदर्शन पर सड़कों पर उतर आए हैं और अपने सामान को जल्द से जल्द वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं.

बैंक में कितने हैं लॉकर
बैंकों में लॉकर कभी भरोसे का प्रतीक हुआ करते थे. लेकिन पिछले एक महीने में कानपुर में बैंक लॉकर से संबंधित जो खबरें निकल कर आई. उसके बाद बैंकिंग सिस्टम में लॉकर्स की विश्वसनीयता पर बहुत बड़े प्रश्न चिन्ह लग गए हैं. बैंकों में लॉकर को किराए पर लेने वाले ग्राहक अब लॉकर को बंद करने की एप्लीकेशन बैंक शाखाओं में दे रहे हैं. पिछले एक महीने में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराची खाना स्थित शाखा के 11 लॉकर्स में रखा गया सामान चोरी हो गया. शाखा में कुल उपलब्ध 1141 लॉकर में 507 लॉकर ग्राहकों ने किराए पर लिए हैं.
दर्ज हुई FIR
लॉकर में हुई चोरी का दसवां शिकार जनरलगंज निवासी रमेश चंद्र गुप्ता की पत्नी राजाबेटी गुप्ता हुई. जिनका लॉकर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कराची खाना में है. सोमवार यानि 11 अप्रैल की दोपहर अपना लॉकर चेक करने के लिए बेटे सौरभ गुप्ता के साथ बैंक पहुंची. उन्होंने बैंक अधिकारी की देखरेख में लॉकर नम्बर 737 खोला, तो उनके होश उड़ गए. लॉकर पूरी तरह खाली था. राजाबेटी गुप्ता वहीं गश खाकर गिर गईं. उनके बेटे ने उन्हें सहारा दिया. राजाबेटी गुप्ता ने बताया कि लॉकर में 35 लाख रुपए के जेवरात और अन्य दस्तावेज गायब थे. फीलखाना पुलिस ने मामले में मंगलवार को FIR दर्ज करके जांच शुरू कर दी है. राजाबेटी गुप्ता के पास ये लॉकर सन 1975 से है. लॉकर में उनकी सास के जेवर और कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मौजूद थे. उनके घर में कुछ समारोह था, जिसकी वजह से लॉकर को आखिरी बार नवंबर 2021 में खोला गया था.

कब शुरू हुआ मामला
पुलिस की जांच में ये बात सामने आई है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कराचीखाना में 29 निष्क्रिय लॉकरों को तोड़ने की आड़ में अन्य लॉकरों को निशाना बनाया गया. जनवरी 2022 में सबसे पहले सेंट्रल बैंक की लॉकर धारक सीता गुप्ता का मामला सामने आया था. बैंक प्रबंधन ने कार्रवाई की बजाय उन्हें डांटकर भगा दिया था. इसके दो महीने बाद 14 मार्च को मंजू भट्‌टाचार्या का मामला सामने आया. तब हंगामा हुआ और लॉकर प्रकरण सामने आया.

क्या हुई है कार्रवाई
मामले में पुलिस कमिश्नर ने जांच के लिए SIT का गठन किया था. जांच में सामने आया कि तत्कालीन बैंक मैनेजर रामप्रसाद, लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय, लॉकर मैकेनिक चंद्र प्रकाश और उसके तीन साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है. इसके साथ ही मामले की जांच तेजी से की जा रही है. लॉकर काटने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्रवाई करने के साथ ही संपत्ति भी कुर्क की जाएगी. SIT जल्द ही मामले में अपनी रिपोर्ट सबमिट करेगी.

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