
कानपुर। 38 साल पहले सिख विरोधी दंगे में मारे गए 127 लोगों को आखिर इंसाफ दिलाने का रास्ता साफ हो गया है। शासन के निर्देश पर गठित एसआइटी की तीन साल तक चली जांच पूरी होने के बाद अब गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया। एसआइटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने सबसे पहले चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारी घाटमपुर क्षेत्र में दबिश देकर की गई हैं।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर, 1984 को हत्या के बाद सिखों के खिलाफ भड़की हिंसा में कानपुर में 127 सिखों की हत्या कर दी गई थी। हत्या-लूट और डकैती आदि के 40 मुकदमे अलग अलग थानों में दर्ज हुए थे, बाद में 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी। 27 मई, 2019 को प्रदेश सरकार ने पूर्व डीजीपी अतुल कुमार की अध्यक्षता में एसआइटी गठित की थी, जो फाइनल रिपोर्ट लग चुके 20 मुकदमों की पुन: जांच कर रही है।
एसआइटी को अबतक केवल 14 मुकदमों में ही साक्ष्य मिले हैं। जबकि नौ मुकदमों में चार्जशीट लगनी है और केवल गिरफ्तारियां होनी बाकी हैं। एसआइटी की जांच में अबतक 94 आरोपित चिन्हित हुए हैं, जिसमें 74 आरोपित जीवित मिले हैं और 20 आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है। वहीं 147 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
सिख विरोधी दंगे में निराला हत्याकांड के मामले को लेकर मंगलवार देर रात करीब एक बजे एसआइटी, कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस की संयुक्त टीम ने घाटमपुर के कई क्षेत्रों में दबिश दी। पुलिस ने चार आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। डीआइजी एसआइटी बालेंदु भूषण ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों के नाम सफीउल्ला पुत्र साबिर खां शिवपुरी, योगेंद्र सिंह उर्फ बब्बन बाबा पुत्र सुरेंद्र सिंह निवासी जलाला, विजय नारायण सिंह उर्फ बच्चन सिंह पुत्र शिवनारायणन सिंह निवासी वेंदा और अब्दुल रहमान उर्फ लंबू पुत्र रमजानी निवासी वेंदा को गिरफ्तार किया गया है। इनसे पूछताछ की जा रही है।
क्या हुआ था निराला नगर हत्याकांड में
निराला नगर में एक नवंबर 1984 को आक्रोशित भीड़ ने एक ऐसी इमारत पर धावा बोला, जिसमें 27 कमरों में दर्जन भर से ज्यादा सिख परिवार रहते थे। दंगाईयों ने यहां रहने वाले रक्षपाल सिंह व भूपेंद्र सिंह को छत से नीचे जल रही आग में फेंक दिया था, जबकि गुरुदयाल सिंह भाटिया व उनके बेटे सतवीर सिंह काला को गोली मार दी थी। इसमें रक्षपाल सिंह, भपेंद्र सिंह के अलावा सतवीर सिंह काला की मृत्यु हो गई थी। एसआइटी की जांच में सामने आया था कि भीड़ ने मकान में आग लगा दी थी, जिसमें एक सिलेंडर ब्लास्ट हुआ और राजेश गुप्ता नाम के दंगाई की भी मृत्यु हो गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि सिखों के साथ एक बंगाली युवक भी रहता था और उसे भी भीड़ ने सिख समझकर मार डाला था। हालांकि उसके बारे में कोई जानकारी अब तक एसआइटी को नहीं मिली है।