Trending

हम कश्मीर को बाकी देश जैसा बनाना चाहते थे, आज पूरे देश में कश्मीर जैसे हालात, अमित शाह के पास कोई समाधान है? मोदी सरकार पर सुब्रमण्यम स्वामी का तंज

Network Today

बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद भारत के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए। उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी। इसके साथ ही नूपुर शर्मा को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की गई। जिसके बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि आज बाकी भारत कश्मीर की तरह दिख रहा है।

देश भर में हुए हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, “आज बाक़ी भारत कश्मीर की तरह दिख रहा है। जबकि हम ये चाहते थे कि कश्मीर बाक़ी भारत की तरह दिखे। क्या गृहमंत्री के रूप में अमित शाह के पास कोई समाधान है? अगर अगले 48 घंटे में स्थिति नियंत्रण में नहीं आती है, तो क्या अमित शाह को गृहमंत्री बने रहना चाहिए?” उन्होंने आगे लिखा कि ये नरेंद्र मोदी का फ़ैसला होगा।

सोशल मीडिया यूजर्स ने जताई सहमति: सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने सुब्रमण्यम स्वामी की बात से सहमति जताई। हर्ष शुक्ला (@harsh_shukla_97) नाम के यूजर ने कहा, “भाजपा तब तक कोई कार्रवाई नहीं करने जा रही है जब तक वे चुनाव जीतते जा रहे हैं। वे कांग्रेस बन गए हैं बस चुनाव जीतना चाहते हैं और हिंदुओं के लिए कुछ नहीं करते हैं। सीएए, यूसीसी, एनआरसी, मदरसा बंद करना सभी चुनाव से पहले कूड़ेदान में हैं, वे सिर्फ नकली रोना रोते हैं।

पैगंबर पर टिप्पणीः जुमे की नमाज के बाद दिल्ली से UP-बंगाल, पंजाब और तेलंगाना तक बवाल! कहीं नूपुर शर्मा का विरोध तो कहीं पथराव; बोले नमाजी- करो गिरफ्तार

एक और यूजर (@Cybrotoxic) ने लिखा, “हम क्यों हैरान हैं, ईशनिंदा का इस्तेमाल इस देश को विभाजित करने के लिए किया जाता है। सरकार बस यह नहीं जानती।” कौशिक गुहा (@k_guha) ने लिखा, “अकेले शाह को ही क्यों दोष दें? क्या यह सभी भाजपा/आरएसएस का सम्मिलित प्रयास नहीं था, जिसमें नूपुर शर्मा ने केवल एक चेहरे के रूप में काम किया?”

अपने एक और ट्वीट में सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल किया, “तमिलनाडु के अन्य ब्राह्मणों ने तमिल ब्राह्मणों के नरसंहार का आग्रह करने वाले डीएमके के खिलाफ आंदोलन कैसे नहीं किया? मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की दिलचस्पी नहीं? गुरुमूर्ति जैसे स्व-नियुक्त तमिल ब्राह्मण बुद्धिजीवियों के बारे में क्या? क्या वह भूमिगत हो गए? अब कम से कम वह बाहर निकल सकते हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button