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कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने मेरा कॅरिअर बर्बाद कर दिया। अपनों को नौकरी देने के चक्कर में मेरी नियुक्ति को स्थायी नहीं किया गया और नौकरी से निकाल दिया गया। अब न तो किसी परीक्षा में शामिल होने की उम्र है और न ही दूसरी जगह नौकरी मिल रही है।
यह आरोप विवि के विधिक संस्थान के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद रंजन ने कुलपति पर लगाया है। उन्होंने इसकी शिकायत राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भी की है। कमीशनखोरी के आरोप में विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक पर मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच एसटीएफ कर रही है।
कुलपति पर मुकदमा होने के बाद अब विवि में की गई उनकी कारगुजारी सामने आनी लगी है। शिक्षकों ने विवि की हुईं नियुक्तियों को पूर्व नियोजित बताया है। आरोप है कि कुलपति ने अपने लोगों को नियुक्ति देकर दूसरे काबिल शिक्षकों को पद से हटा दिया। प्रमोद रंजन ने बताया कि 2017 में विवि में विधिक अध्ययन संस्थान की स्थापना के साथ उनकी मौलिक नियुक्ति सहायक प्रोफेसर के रूप में हुई थी।
संस्थान का नया भवन बनने के बाद विवि ने शासन से पूर्ण वेतनमान देने एवं पदों के सृजन की संस्तुति प्राप्त की। शासन ने विवि को निजी स्रोतों से पूर्ण वेतन देने और भविष्य में राज्य सरकार द्वारा कोई राशि न देने की शर्त के साथ संस्तुति दी। उन्होंने कहा कि 2020 में तत्कालीन कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को पूर्ण वेतनमान देने एवं सृजित पदों के सापेक्ष नियुक्ति देने के लिए पत्र लिखा था।