
गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर ये वो राज्य हैं लंपी वायरस सबसे ज्यादा कहर मचा रहा है. लंपी नाम का वायरस पशुओं को हो रहा है, जिससे त्वचा पर बड़े-बड़े ढेले निकल रहे हैं. इससे भी ज्यादा दुख की बात ये है कि पशुओं की मौत बेहद दर्दनाक तरीके से हो रही है. ऐसे में तमाम सवाल उठ रहे हैं.
पहला- क्या जिन दुधारू पशुओं को लंपी वायरस हो रहा है, उनका दूध भी संक्रमित है?
दूसरा- इतनी तादाद में दुधारू पशुओं की मौत हो रही है, इससे दूध महंगा हो जाएगा क्या?
तीसरा- लंपी रोग को रोकने के लिए क्या-क्या हो रहा है.
सवाल: जिन दुधारू पशुओं को लंपी वायरस हो रहा है, उनका दूध भी संक्रमित है?
जवाब: इस का जवाब देते हुए पशु विशेषज्ञ ने कहा कि जिन पशुओं को लंपी वायरस है, उनका दूध संक्रमित नहीं है. लेकिन अगर कोई पशु गंभीर रूप से बीमार है, तो ऐसे दूध को पीने से बचें. साथ ही अगर ऐसे दूध को उपयोग कर भी रहे हैं, तो दो से तीन बार ठीक से उबाल लें.
सवाल: क्या लंपी वायरस की वजह से दूध महंगा हो जाएगा?
जवाब: इसका सीधा जवाब अभी मुश्किल है. चूंकि 67000 पशु अब तक मर चुके हैं और ये तादाद बढ़ती जा रही है. शुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतिंद्र के मुताबिक राजस्थान में प्रतिदिन मरने वालों मवेशियों की संख्या 600-700 है. पंजाब में भी काफी संख्या में पशु लंपी वायरस की चपेट में हैं लेकिन अन्य राज्यों में यह संख्या एक दिन में 100 से भी कम है. इस पर पशु विशेषज्ञ का कहना है कि चूंकि पशुओं की ज्यादा जान रही है, ऐसे में अगर दूध की मांग-आपूर्ति में अंतर पैदा हुआ, तो दाम बढ़ेंगे.
सवाल: लंपी वायरस से बचाव को लेकर अभी क्या काम हो रहा है?
जवाब: पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव जतिंद्र नाथ स्वैन का कहना है कि अधिकांश मामले वाले क्षेत्रों में गाय-भैंस का टीकाकरण कराया जा रहा है. फिलहाल ढेलेदार त्वचा रोग को नियंत्रित करने के लिए ‘बकरी पॉक्स’ के टीके का उपयोग किया जा रहा. उन्होंने बताया कि कृषि अनुसंधान निकाय के दो संस्थानों एक नए टीके ‘लंपी-प्रोवैकइंड’ पर काम कर रहे हैं. जो अगले 3-4 महीने में आ जाएगा. अब तक 1.5 करोड़ खुराक प्रभावित राज्यों में दी जा चुकी हैं.