
रूहानी नूर से फिर फिजाएं रोशन होने को हैं। बंदे को हर बुराई से दूर रखते हुए अल्लाह के करीब लाने का सबसे पाक महीना रमजान की दस्तक हो चुकी है। यदि बुधवार को चांद दिखा तो बृहस्पतिवार को पहला रोजा होगा। इसके लिए शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की मस्जिदें और ईदगाह की साफ सफाई की जा चुकी है।
शहर के दरिया खां में स्थित दारूल उलूम को ऐसे करीने से सजाया गया है कि उसकी भव्यता देखते बन रही है। रमजान के दौरान तुरकहिया स्थित जामा मस्जिद में भी सफाई के अलावा कोना-कोना धुला गया। इसी तरह खैर मस्जिद और जामिया हनीफिया मस्जिद में भी रमजान की तैयारियां की गई हैं। दारूल उलूम के मुफ्ती मोहम्मद अहमद काजमी नकवी ने बताया कि इबादत, तिलावत और गरीबों की मदद करने का यह माह तीस दिनों तक चलेगा। मस्जिदों में रमजान की तैयारियां काफी तेजी से की जा रही हैं।
30 दिन में तीन अशरा
30 दिनों के रमजान माह को 3 अशरों (खंडों) में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत’ का है जिसमें खुदा बरकत नाजिल करता है जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है।
अल्लाह की राह भेजता है रमजान
खैर मस्जिद बड़ा डाकखाना के अब्दुल रब का कहना है कि खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाला यह माह भूख-प्यास के साथ ही तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर डालने जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की ताकत देता है।
इच्छाओं पर काबू का प्रयोग
जामिया हनीफिया के रियाज अहमद कहते हैं कि रोजेदार को भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकने वाले त्योहार में अल्लाह अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है। इस बार पवित्र माह रमजान की शुरुआत नौतपा में होने से रोजेदारों की श्रद्धा की कड़ी परीक्षा भी होगी।
गुनाहों से तौबा करने का मौका
जामा मस्जिद के एच रहमान का कहना है कि इबादत, तिलावत और गरीबों की मदद करने के इन तीस दिनों में इंसान को अनेक मौका मिलता है कि वह अपने गुनाहों से तौबा करके अल्लाह की राह पर चले। भटके को रास्ते पर लाने का इससे बड़ा अवसर मुसलमान को नहीं मिल सकता।
पाकीजगी के लिए रमजान
दारूल उलूम के मुफ्ती मोहम्मद अहमद काजमी जकवी कहते हैं कि जिस्म और रूह की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है और यही रमजान की विशेषता भी है। रमजान माह के दौरान हर नेकी का शबाब कई गुना और एक रकात नमाज अदा करने का शबाब 70 गुना हो जाता है।