
उत्तर प्रदेश में अब छोटे स्थानों पर भी बार खुल सकेंगे। प्रदेश सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस बाबत आए उ.प्र.आबकारी (बार लाइसेंस की स्वीकृति) नियमावली (प्रथम संशोधन) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
अब बार लाइसेंस स्वीकृत किये जाने के लिए अब तक 200 वर्गमीटर कुर्सी क्षेत्रफल (सिटिंग एरिया) का स्थान अनिवार्य था जिसे शिथिल करते हुए अब इसे 100 वर्गमीटर का कुर्सी क्षेत्रफल कर दिया गया है। बार लाइसेंस की स्वीकृति के लिए न्यूनतम व्यक्तयों के बैठने की क्षमता 40 व्यक्तियों के स्थान पर 30 व्यक्ति कर दी गई है।
अब बार के भवन को पूरे होने के बारे में सहायक दस्तावेजों के साथ प्रमाण पत्र या शपथ पत्र नहीं देना होगा। बल्कि इसके स्थान पर सम्बंधित विकास प्राधिकरण या स्थानीय निकाय द्वारा प्रस्तावित परिसर से सम्बंधित भवन के अनुमोदित नक्शे की सत्यापित प्रति दी जाएगी। इसके अलावा बार या ऐसे होटल-रेस्टोरेंट जिन्होंने शराब या बीयर परोसने का लाइसेंस वाले होटलो व रेस्टारेंट को अब शराब या बीयर के साथ भोजन परोसने के लिए स्थानीय प्राधिकरण से व्यापारिक लाइसेंस लेने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गयी है। आवासीय परिसर में अपने परिवार के सदस्यों के साथ शराब या बीयर का उपभोग करने के लिए होम लाइसेंस लेने की पेचीदगियों को खत्म करते हुए इसे भी आसान बनाया गया है।
आबकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर.भूसरेड्डी ने बताया कि वैयक्तिक होम बार लाइसेंस के प्रचलित प्राविधानों में संशोधन किये गये हैं। अब आवासीय परिसर मे अब अपने देश में बनी अंग्रेजी शराब और आयातित अंग्रेजी शराब के अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों, अतिथियों और मित्रों, जिनकी उम्र 21 वर्ष से कम न हो,द्वारा उपभोग के लिए किसी व्यक्ति को वैयक्तिक होम बार लाइसेंस स्वीकृत किये जा सकेंगे तथा अब वैयक्तिक होम बार लाइसेंस के परिसर का निरीक्षण केवल आबकारी आयुक्त की अनुमति से ही किया जायेगा।
रिटायर न्यायिक अफसरों को नई दर से पेंशन
उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी 1996 से 31 दिसंबर 2005 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले न्यायिक सेवा के अफसरों को नए दर से पेंशन दी जाएगी। नई पेंशन सेवानिवृत्त होने की तिथि पर मिलने वाले वेतन के 50 फीसदी दर यानी 3.07 गुणांक के आधार पर किया जाएगा। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। यूपी में 1 जनवरी 1996 से 31 जनवरी 2005 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले न्यायिक सेवा के अफसरों की पेंशन का निर्धारण अखिरी वेतनमान के 50 फीसदी के सबसे निचले दर से किया गया। इससे इन सालों में सेवानिवृत्त होने वाले न्यायिक अधिकारियों की पेंशन कम हो गई। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। इसमें तर्क दिया गया कि छठे वेतनमान के आधार पर उन्हें पेंशन कम मिल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को इसमें सुधार करने का निर्देश दिया। इसके आधार पर पेंशन दर संशोधित करने का फैसला किया गया है। अब इन अधिकारियों की पेंशन का पुनरीक्षण 3.07 गुणांक के आधार पर किया जाएगा।