
औरैया। जो हुआ उसमें मेरे पिता की कोई मर्जी नहीं। उनका सेहत ठीक नहीं। इसका फायदा मेरे चाचा ने उठाया। अपने स्वार्थ के लिए पिता को भाजपा से सपा में शामिल करा दिया। जबकि चुनाव लडऩे से पिता ने पहले ही मना कर दिया था। यह कहना है कि बिधूना से भाजपा विधायक विनय शाक्य की बेटी रिया शाक्य का। सीट पर दल-बदल की शुरू हुई राजनीति पर उन्होंने कहा कि मैं और मेरा भाई सिद्धार्थ की निष्ठा भाजपा से है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा से इस्तीफा देने व सपा में शामिल होने के बाद से ही बिधूना विधायक विनय शाक्य के पार्टी छोडऩे की अटकलें तेज हो चली थीं। इस पर विराम लगने के बाद भी शाक्य परिवार में राजनीतिक गहमा गहमी फिलहाल जारी है। क्योंकि, इस खेमे में उनकी पुत्री व बेटा भाजपा के साथ हैं। बेटी रिया शाक्य का नाम संभावित दावेदारों की सूची में शामिल है। उन्होंने चाचा देवेश शाक्य के लिए कहा कि पिता को जबरन सपा में शामिल कराया गया है। पिता से मिलने नहीं दिया गया। रिया का कहना है कि निजी स्वार्थ व हित के लिए ऐसा किया गया। विनय शाक्य के राजनीतिक इतिहास पर गौर किया जाए तो वर्ष 2017 में बिधूना विधान सभा सीट से उन्होंने भाजपा से जीत हासिल की और विधायक बने।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी होने की वजह से उन्होंने चुनाव-2022 में दल-बदल के बीच उनका साथ दिया। विनय शाक्य बिधूना से ही 2007 में बसपा से चुनाव लड़कर विधायक रह चुके हैं। इसके उपरांत बसपा में ही उन्हें एमएलसी बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा देकर बाह्य सहायता प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया था। एमएलसी रहते वर्ष 2012 विधानसभा चुनाव में उनके भाई देवेश शाक्य को बसपा से बिधूना से प्रत्याशी बनाया था। इसमें देवेश की हार हुई थी। वर्ष 2017 में होने वाले चुनाव में भाजपा के टिकट पर विनय विधानसभा पहुंचे।