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‘ज्ञानवापी मामला सुनवाई के योग्य’, अदालत का ऐतिहासिक फैसला

वाराणसी। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सोमवार को फैसला आ सकता है। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस पर मंदिर व मस्जिद पक्ष की दलीलें पूरी हो चुकी हैं। दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई पूरी होने के बाद अब दोनों ही पक्षों को अदालत के फैसले का इंतजार है। दोपहर एक बजे के बाद परिसर में गहमागहमी अधिक हो गई, सवा दो बजे अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह (व अन्‍य) बनाम उत्तर प्रदेश राज्य सरकार मामले में अदालत ने दोपहर सवा दो बजे फैसला सुना दिया। वाराणसी के जिला जज ने अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में चलने योग्य है। यह निर्धारित करते हुए प्रतिवादी संख्या चार अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के द्वारा अदालत को दिए गए 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया। इसी के साथ अदालत ने अगली सुनवाई की ति‍थि 22 सितंबर तय कर दी है।

दोपहर एक बजे तक दोनों पक्षों के वकील कोर्ट परिसर में पहुंचे और अपने पक्ष के वादी प्रतिवादी से मुलाकात कर विचार विमर्श किया। अदालत में हिंदू पक्ष की ओर से वादिनी महिलाएं तो मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के सदस्‍या भी कोर्ट पहुंच गए।

मंदिर पक्ष ने यह साबित करने की कोशिश की है कि मुकदमा सुनने योग्य है। वहीं, मस्जिद पक्ष ने भी इसे स्थानीय अदालत में सुनने योग्य नहीं बताने का प्रयास किया है। पूरे प्रकरण की क्रोनोलाजी, मुकदमे के दौरान दोनों पक्ष की प्रमुख दलीलें, मंदिर पक्ष के प्रार्थना पत्र की प्रमुख बातें सुनने के बाद अदालत की ओर से 12 सितंबर की तिथि मुकर्रर की गई थी। दोपहर सवा दो बजे तक इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। अदालत के फैसले के बाद दोनों पक्ष आगे की विधिक कार्रवाई की रूपरेखा तय करने में जुट गए हैं। इस लिहाज से सोमवार को आने वाले फैसले ने मस्जिद मामले का रुख तय कर दिया है।

लगभग 24 वर्ष पहले भी प्राचीन मूर्ति स्वयंभू विश्वेश्वर की ओर से कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। तब वाराणसी की सिविल जज की अदालत ने मुकदमे को सुनने योग्य नहीं माना था। वादी पक्ष ने निगरानी याचिका दाखिल की। प्रथम जिला जज ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए मुकदमा सुनने योग्य माना था। इसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने हाई कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया है। सोमवार को इस मामले में भी अदालत में सुनवाई की गई।

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