मिसाइल या डिजाइन… रूस के T-72 टैंकों का कब्रगाह क्यों बना यूक्रेन?

यूक्रेन में तबाह हुए टैंकों को देखकर रूस भी काफी परेशान है। यही कारण है कि रूस ने सीधे तौर पर यूक्रेन को सप्लाई होने वाले हथियारों पर हमले की चेतावनी दी है। युद्ध के मैदान से आ रही तस्वीरों से पता चलता है कि रूसी टैंक एक तकनीकी समस्या से ग्रस्त हैं, जिनके बारे में पश्चिमी देश बहुत पहले से जानते हैं।

50 साल पुराना है रूस का टी-72 टैंक
रूसी सेना 50 साल पुराने टी-72 को आज भी मुख्य युद्धक टैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है। टी-72 टैंक को शीत युद्ध के दौरान तत्कालीन सोवियत संघ के इंजीनियरों ने बनाया था। इसटैंक को रूस के दुश्मनों खासकर अमेरिका के खिलाफ निर्णायक रूप से प्रहार के लिए बनाया गया था। टी-72 टैंक के 2000 से ज्यादा यूनिट आज भी रूसी सेना में तैनात हैं। इस टैंक के हजारों यूनिट रूसी सेना के गोदामों में भी पड़े हुए हैं। इनसे फिर से इस्तेमाल के लायक पूर्जों को निकालकर दूसरे टैंकों में इस्तेमाल किया जा रहा है। सोवियत संघ के विघटन से पहले टी-72 टैंक के 18000 से ज्यादा यूनिट का निर्माण किया गया था। वर्तमान में इस टैंक का अपग्रेडेड वर्जन टी-72बी3 अभी कई देशों की सेनाओं में कार्यरत है।

युद्ध के मैदान की तस्वीरें देख बेचैन हुआ रूस
यूक्रेन में तबाह हुए टैंकों को देखकर रूस भी काफी परेशान है। यही कारण है कि रूस ने सीधे तौर पर यूक्रेन को सप्लाई होने वाले हथियारों पर हमले की चेतावनी दी है। युद्ध के मैदान से आ रही तस्वीरों से पता चलता है कि रूसी टैंक एक तकनीकी समस्या से ग्रस्त हैं, जिनके बारे में पश्चिमी देश बहुत पहले से जानते हैं। इसे तकनीकी भाषा में “जैक-इन-द-बॉक्स प्रभाव” कहा जाता है। समस्या यह है कि आधुनिक पश्चिमी टैंकों के विपरीत, रूसी टैंकों में गोला-बारूद को बुर्ज के भीतर रखा जाता है। यही बात रूसी टैंकों को अत्यधिक असुरक्षित बनाता है क्योंकि दुश्मन के गोले का डायरेक्ट हिट टैंक के अंदर चेन रिएक्शन शुरू कर सकता है, जो अंदर मौजूद पूरे जखीरे में आग लगा सकता है। इसी के कारण रूसी टैंको के बुर्ज हवा में उड़कर दूर गिरे हुए दिखाई दे रहे हैं।

रूसी टैंकों की डिजाइन में ही है दोष
सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी में रशियन स्टडीज प्रोग्राम के सलाहकार सैम बेंडेट ने कहा कि हम रूसी टैंकों के साथ जो देख रहे हैं वह एक डिजाइन दोष है। कोई भी डायरेक्ट हिट … एक बड़े विस्फोट के कारण बारूद में भयानक विस्फोट करता है, और बुर्ज सचमुच उड़ जाता है। जमीनी युद्ध के विशेषज्ञ और रक्षा उद्योग के विश्लेषक एक पूर्व ब्रिटिश सेना अधिकारी निकोलस ड्रमंड ने कहा कि दोष का मतलब टैंक के चालक दल – आमतौर पर बुर्ज में दो आदमी और तीसरा ड्राइवर एक बतख हैं, यदि आप पहले सेकंड के भीतर बाहर नहीं निकलते हैं, तो आप टोस्ट बन जाएंगे। ड्रमंड ने कहा कि रूस ने इराक से सबक नहीं सीखा है इसलिए ही उसे यूक्रेन में अपने सैकड़ों टैंकों को खोना पड़ा है।

भारत के पास 2000 से ज्यादा T-72 टैंक
रूसी T-72 को भारत में ‘अजेय’ कहा जाता है। यूरोप के बाहर भारत पहला ऐसा देश था जिसने रूस से टी-72 टैंक को खरीदा था। वर्तमान में भारत के पास टी-72 टैंक के तीन वैरियंट में करीब 2000 से अधिक यूनिट हैं। यह बेहद हल्‍का टैंक है जो 780 हॉर्सपावर जेनेरेट करता है। यह न्‍यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचने के लिए भी बलाया गया है। यह 1970 के दशक में भारतीय सेना का हिस्‍सा बना था। ‘अजेय’ में 125 एमएम की गन लगी है। साथ ही इसमें फुल एक्‍सप्‍लोसिव रिऐक्टिव आर्मर भी दिया गया है।

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