मदरसे के नाम पर चंदा लाकर बिल्डर बन गया वसी! पहले स्कूटर से चलता था, अब दुबई तक जुड़े तार

वसी की गिनती बड़े बिल्डरों में होती है। उसकी सिस्टम पर गहरी पकड़ी थी, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि करीब 20 साल पहले तक वसी एक साधारण व्यक्ति था। वह स्कूटर पर चलता था और कपड़े का कारोबार करता था। सूत्रों के अनुसार, अरबी भाषा के जानकार वसी ने अरब देशों से मदरसे के नाम पर चंदा लिया और इस रकम से खुद को बिल्डर के तौर पर स्थापित कर लिया।

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कानपुर: कानपुर शहर में तीन जून को हुई हिंसा के आरोपित वसी की गिनती बड़े बिल्डरों में होती है। उसकी सिस्टम पर गहरी पकड़ी थी, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि करीब 20 साल पहले तक वसी एक साधारण व्यक्ति था। वह स्कूटर पर चलता था और कपड़े का कारोबार करता था। सूत्रों के अनुसार, अरबी भाषा के जानकार वसी ने अरब देशों से मदरसे के नाम पर चंदा लिया और इस रकम से खुद को बिल्डर के तौर पर स्थापित कर लिया।

तबलीगी से रिश्ते:
सूत्रों के अनुसार, करीब 55 साल का वसी 90 के दशक में एक साधारण व्यक्ति था। उसके सपने बड़े थे। पहले वह अपने भाई आजाद के साथ सिलाई से जुड़े छोटे-मोटे उपकरण भी बनाता था। वह तबलीगी जमात के संपर्क में आया कई बार कानपुर के अपने एक दोस्त के साथ सऊदी अरब गया। ये लोग अक्सर शब-ए-बारात के आसपास खाड़ी देशों में जाते थे और ईद तक वहीं रहते थे। कानपुर में एक बड़े होटल का मालिक वसी का दोस्त वहां रमजान के महीने में मिलने वाली जकात बटोरता था, जबकि अरबी भाषा का जानकार वसी मदरसे में धार्मिक शिक्षा देने के नाम पर अमीर अरबी लोगों से चंदा वसूलता था।

विडियो भेजकर मंगाता था रुपया:
शुरुआती तौर पर मिले कुछ चंदे से वसी ने कानपुर में कुछ बिल्डिंगें बनवाईं। बिल्डिंग के पार्किंग एरिया में हफ्ते में एक दिन बच्चों को लाकर वहां पढ़ाया जाता था और विडियो बनाकर खाड़ी देशों में भेजा जाता था। बच्चों की तालीम और खाने-पीने के लिए हर महीने के हिसाब से रुपये आते रहे और वसी बिल्डिंगों का कारोबार बढ़ाता गया। वसी की राह बदलते देख भाई आजाद उससे अलग हो गया। अगले दशक में वसी का नाम बड़ा होने लगा था। अब उसे बिल्डिंगों को खाली कराने और बनवाने के बड़े ठेके मिलने लगे थे। आरोप है कि वसी कई अपराधियों को शरण देने लगा और बदले में विवादित संपत्तियों को खाली कराने और बनवाने में उसका कोई साथी नहीं रहा।

बुर्का पहन पुलिस के सामने भागा था:
सूत्रों के अनुसार, 25 जून के आसपास वसी अपने बेटे आरिफ के साथ बाइक से कानपुर के बाहर चला गया था। वसी ने भागते समय बुर्का पहन रखा था। उसके घर से कुछ ही दूरी पर दो सिपाही भी खड़े थे, लेकिन गिरफ्तारी का आदेश न होने के कारण वह कुछ नहीं कर सके। बीते 10 दिनों के दौरान वसी दिल्ली में था और इधर-उधर घूम रहा था। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें काम कर रही थीं। वसी के बेटे अब्दुल रहमान को दो दिन पहले ही गिरफ्तार किया गया था। मंगलवार को कोर्ट में पेश कर उसे जेल भेज दिया गया। जल्द पुलिस उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
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