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फिर सीता को बचाने आया हूँ…….. “गिद्ध की आह” कानपुर के गिद्ध प्रकरण पर युवा कवि ने लिखी रोचक कविता

फिर सीता को बचाने आया हूँ…….. ” गिद्ध की आह”
कानपुर के गिद्ध प्रकरण पर युवा कवि ने लिखी ये रोचक कविता 

कवि सौमेन्द्र राज त्रिपाठी

Network Today
मैं तो इस कलयुग दुनिया मे फिर सीता को बचाने आया हूँ…….. इन लाइनों को पढ़कर किसी को भी रामायण की याद आ जायेगी । पर इसकी प्रासिंगकता आज भी है । शनिवार को एक गिद्ध का जोड़ा कानपुर के बजरिया स्लाटर हाउस पहुंचा। वहां मौजूद लोगों ने एक गिद्ध को पकड़ लिया। जबकि दूसरा भाग गया। गिद्ध को देख आस-पास के लोग जुट गए और उसको दबोच लिया । सूचना पाकर पहुंचा जू प्रशासन ने गिद्ध को कब्जे में लिया। पर शहर के प्रशिद्ध युवा कवि ने इसको अपनी भावनाओं में व्यक्त किया तो इसने खूब वाहवाही बटोरी । इन दिनों ये कविता काफी सुर्खियां बटोर रही है ।
*कविता…*
गिद्द की आह

कुछ बाज़ो ने पकड़ा मुझको, फिर हाथों से जकड़ा मुझको।

मैं आया इंसानी बस्ती में, और घूम रहा था मस्ती में।

मुझे क्यों पिंजरे में डाल दिया। मेरा कैदी जैसा हाल किया।

मैं अंश मात्र उस राजा का, जिसने रावण से युद्ध किया।

हो हरण, न राम की सीता का, प्राणों का खुद बलिदान दिया।

मैं तो इस कलयुग दुनिया मे, फिर सीता को बचाने आया हूँ।

इस पुण्य कार्य के बदले में, अपने राम से मिलने आया हूँ।

मैं रुंधे गले से कहता हूँ, मुझे छोड़ दो गगन की वायु में।

न खींचो तुम मेरे पंखों को, मुझे जाने दो इस आयु में।

*कवि*: *सौमेन्द्र राज त्रिपाठी*

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