इमरान खान ने सत्ता से विदाई के बाद पेशावर रैली में निकाली भड़ास, बोले- मेरे जाने से भारत सबसे ज्यादा खुश

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के चेयरमैन इमरान खान ने बुधवार को पेशावर में एक रैली को संबोधित किया। इमरान ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दिन आधी रात को कोर्ट के खुलने पर सवाल उठाए। पिछले शनिवार को बड़े नाटकीय ढंग से इमरान खान की सत्ता से विदाई हुई जब नेशनल असेंबली में उन्हें अविश्वास मत पर हार का सामना करना पड़ा और सोमवार को शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बने। बुधवार को खान ने पेशावर में एक बड़ी जनसभा में अपनी भड़ास निकाली।

इमरान खान ने अदालतों के आधी रात में खुलने पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘रात को अदालतें खुल गईं। क्यों? क्या मैंने कोई कानून तोड़ा था।’ उन्होंने कहा, ‘मैं पाकिस्तान के लिए जियूंगा और मरूंगा।’ इस दौरान इमरान ने चेतावनी दी और कहा कि सरकार में रहते हुए वह उतने खतरनाक नहीं थे लेकिन अब सत्ता से बाहर होने के बाद वह विपक्ष के लिए और ज्यादा खतरनाक हो जाएंगे। रविवार को इमरान समर्थकों ने देशभर में रैली की और विपक्ष व सेना के खिलाफ नारेबाजी की। खान ने उसका भी जिक्र किया।

खान बोले- यह 1970 का पाकिस्तान नहीं है
उन्होंने कहा कि हर बार जब एक प्रधानमंत्री सत्ता से बाहर होता है तो लोग जश्न मनाते हैं। लेकिन जब उन्हें बाहर किया तो लोगों ने प्रदर्शन किया और रैलियां निकाली। नई सरकार पर निशाना साधते हुए इमरान ने कहा, ‘हम एक आयातित सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे और लोगों ने विरोध प्रदर्शन करके दिखा दिया है कि वे क्या चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इन डाकुओं को हम पर थोपकर पाकिस्तान का अपमान किया है। शहबाज शरीफ 40 अरब रुपयों के भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है। जुल्फिकार अली भुट्टो अमरिकी साजिश के बाद सत्ता से बाहर हुए थे लेकिन यह 1970 का पाकिस्तान नहीं है। यह नया पाकिस्तान है।

‘मोदी ने कभी इमरान खान को फोन नहीं किया’
इमरान खान ने कहा कि मेरे सत्ता से बाहर जाने के सबसे ज्यादा जश्न भारत और इजरायल ने मनाया। खान से पहले जनसभा को संबोधित करते हुए पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि मोदी ने कभी इमरान खान को फोन नहीं किया लेकिन अब वह शहबाज को ट्वीट कर रहे हैं। इमरान खान सही थे जब वह कहते थे कि एक दिन सभी राजनेता उनके खिलाफ हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि बिलावल और फजलुर रहमान की विचारधारा एक समान नहीं है लेकिन उनके स्वार्थ एक समान हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button