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नवरात्र – नवरात्रि का आज पहला दिन है रोग शोक का विनाश करती है मां शैलपुत्री

मां दुर्गा का प्रथम रूप शैलपुत्री का है पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना के साथ उनकी पूजा की जाती है

आपको बता दें दुर्गा को मातृशक्ति यानी स्नेह करुणा और ममता का स्वरूप मानकर हम पूछते हैं इनकी पूजा में सभी तीर्थों नदियों और समुद्रों नवग्रहों देव पालो दिशाओं नगर देवता ग्राम देवता सहित सभी योगियों को भी आमंत्रित किया जाता है और कलश में वह बिरासनी हेतु प्रार्थना सहित उनका आह्वान किया जाता है शारदीय नवरात्रि पर कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है कलश में सब चम्मच का यानी 7 प्रकार की मिट्टी सुपारी मुद्रा सादर भेंट किया जाता है और पंच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जो भूल जाते हैं जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है कलश पूजन के बाद मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।

अथवा वंदे वांछित लाभ चंद्रशेखराम ,।
वृषारुढा शूलधरां शैलपुत्री यशाश्विनीम।

इन दोनों में से किसी एक का मंत्र का जाप करते हो मां शैलपुत्री की पूजा करें।

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