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Kanpur – देवकीनंदन ठाकुर बोले- संसद में 25 सांसद धर्माचार्य होने चाहिए:राजनीति पर मीडिया से की बात, कहा- धर्म का राज होता तो लिवइन कानून न आता

Network Today

जी पी अवस्थी

कानपुर, यूपी । संसद में 25 सांसद धर्माचार्य होने चाहिए। संसद में तिलक और कंठी माला पहनने वाले सांसद होते तो देश में लिवइन रिलेशनशिप कानून न बन पाता। ये कहना है कि देश के विख्यात कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर महाराज का। वे कानपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कह रहे थे।

आर्यनगर के होटल में देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने कहा, ”सनातन काल में राजा की सभा में धर्माचार्य होते थे, जो सनातन धर्म की जानकारी और सही सलाह देते थे। मौजूदा हालात में संसद में भी इसकी जरूरत है। धर्माचार्य किसी भी पार्टी से हो, इसकी परवाह नहीं है। लेकिन कम से कम 25 धर्माचार्य संसद में होने चाहिए।” बता दें कि कथावाचक देवकी नंदन कानपुर के मोतीझील मैदान में श्रीमद् भागवत कथा करने आए हैं।

देवकी नंदन बोले- हिंदू सहनशील है, इसलिए कोर्ट गए
देवकी नंदन ठाकुर महाराज ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भारतीय संस्कृति को ताक पर रखा। जितना सनातन संस्कृति को आज सम्मान मिल रहा है, उतना मिला तो आज हम विश्वगुरु होते। उन्होंने कहा कि हिन्दू सहनशील न होता तो अपने आराध्य की जगह ज्ञानवापी और मथुरा के लिए कोर्ट में नहीं लड़ता। हम उस जगह को मांग रहे हैं जो पहले से अपनी है। कहा हम जानते हैं एक दिन संविधान के हिसाब से काशी शिवमय होगा और मथुरा कृष्णमय।

‘भाईचारा के नाम पर हमें चारा बनाया गया’
महाराज ने आगे कहा कि हमने कहा था अयोध्या, काशी और मथुरा दे दो, हमसे 300 मस्जिद ले लो। पूर्व की सरकारों ने काला कानून लाया कि हम अपने समुदाय के लिए कोर्ट नहीं जा सकते, हमें रोकने का प्रयास किया गया। भाईचारा एक तरफा निभाया गया और हमें चारा बनाया गया।

हमने जनसंख्या की रोकथाम के लिए कोर्ट में याचिका डाली है। सभी देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों को सुविधाएं और सम्मान मिलना चाहिए। अमरावती जैसी घटनाओं को रोकने के लिए हम जन जागृति अभियान चला रहे हैं।

‘राजनेता होता तो कई आरोप लगते’
राजनीति में आने के सवाल पर देवकी नंदन महाराज ने कहा, ”मेरा काम राजनेताओं से बढ़कर है। मैं राजनेता होता तो मुझ पर आप कई आरोप लगाते, लेकिन क्योंकि मैं धर्माचार्य हूं इसलिए आप प्यार कर रहे हैं। कहा कि मेरा काम है सनातन धर्म को आगे बढ़ाने और उसकी रक्षा करने का। वकील,नेता, डॉक्टर जो जिसका काम है, उसे वह करना चाहिए।”

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