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कानपुर नगर, एक तरफ जहां स्टेशनो में व्यवस्थाओं के ठीक न होने के कारण यात्रियों को परेशानी झेलनी पडती है तो दूसरी तरफ सडकों पर यातायात व्यवस्थित न होने के कारण वाहन सवार व राहगीर परेशान होते है, यह समस्या आज की नही है अपित वर्षो से यह ढर्रा चला आ रहा है और इसमें आज तक कोई सुधारन नही हुआ है। बात की जाये यदि रेलवे प्रशासन और कानपुर प्रशासन की तो दोनो के ही द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नही की गयी और समस्या पहले की अपेक्षा बढती ही जा रही है। रावतपुर स्टेशन में दूधियों की मानमानी यात्रियों पर भारी पड रही है। आये दिन जहां यात्रियों के साथ कोई न कोई घटना होती रहती है तो सैकडो की संख्या में दूधियों यात्रियों से हाथा-पाई पर उतारू हो जाते है। यही दूधिये प्लेटफार्म पर पूरी तरह कब्जा कर लेते है, बावजूद इसक रेलवे प्रशासन मूकदर्शक बन सब देखता रहता है। बताते चले कि अनवरगंज से फरूर्खाबाद रेलवे लाइन पर चले वाली पैसेंजर ट्रेन जब रावतपुर स्टेशन पहुंचती है तो हजारोकी तादात में दूध केपीपे लिए दूधिया ट्रेन से उतरते है। सैकडो पीपे दूध के कोचो में रखे जाते है साथ ही ट्रेन की खिडकी से भी सैकडो पीपे बांध दिये जाते है। दूधियों की तादात अधिक होने के कारण यात्रीगण इसका विरोध नही कर पाते और यदि कोई करता है तो उसे मार खानी पडती है। प्लेटफार्म पर इन दूधियों का पूरी तरह वर्चस्व कायम होने के कारण यात्रियों को बैठने की जगह नही मिल पाती वहीं आवा-गमन में परेशानी होती है। भयावह स्थिति यह कि आये दिन यहां यात्रियो और दूधियों में झगडा होता है लेकिन इस बात का कोई भी असर यहां रेलवे प्रशासन के लोगो पर नही दिखाई देता। रोड को बना लिया दूधियों ने अपना अड्डा
रावतपुर स्टेशन ही नही बल्कि उसके सामने मेन रोड पर भी दूधियों का कब्जा हो चुका है। हजारो की तादात में दूधिया अपने बर्तनो के साथ सडक पर सुबह से जम जाते है। मुख्य सडक होने के कारण तथा इसी रोड पर कई सरकारी कार्यालय, मुख्य शिक्षण संस्थान के साथ ही मुख्य सडक होने के कारण सुबह से शाम तक जाम लगा रहता है। कडी धूप में वाहन सवार निकलने के लिए जूझते नजर आते है लेकिन स्थानीय पुलिस जब जानते हुए भी काई कार्यवाही नही कर पाती। विभागीय अधिकारी मौन है, राहगीर परेशान है लेकिन वर्षो से चल रही इस समस्या का काई निदान नही हो सका है।