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दीक्षांत समारोह में पहुंची राज्यपाल, बोलीं- गांवों को समृद्ध करने आगे आएं विश्वविद्यालय

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कानपुर। आज के समय ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्म योग की जरूरत है। मां घर में कर्म योग तो करती है। वह सोचती हैं, मेरे बच्चे कमजोर हैं। बड़ा बेटा है, पति है, ससुर है। उनका प्रयास रहता है की खाना स्वादिष्ट बने, सेहतमंद रहे। यह भक्ति योग है। होटल का कुक भी खाना बनाता है, लेकिन वह सिर्फ कर्म योग करता है।

यह बात राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कही। वह शुक्रवार को रामा विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहीं थी। उन्होंने कहा कि मां घर मे खाना बनाती है कि उनको पता होता है की उसमें चावल, मिर्च, तेल, मसाला कितना डालना है। यह ज्ञान योग है। इंजीनियरों को भी ज्ञान, भक्ति, कर्म योग करना होगा। स्कूल का टायलेट, अस्पताल, सड़को का निर्माण, पुल इसका उदाहरण हो सकता है।

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इसकी कमी से सड़कों पर जगह जगह खुदाई हो रही है।  कभी पाइप लाइन, कभी तार डालने के लिए सड़क खोद दी जाती है। मेरी दृष्टि से गोल्ड मेडल और रजत पदक एक ही हैं। कोई एक नंबर से पीछे राह गया तो कोई दो नंबर ज्यादा पा गया। इसलिए चिंता करने की बात नहीं है। जब हमारे देश की बेटी का नाम होता है, तो पूरे देश की बेटियों का सम्मान होता है।

माता का सम्मान सबसे बड़ा सम्मान है। मां के मन मे बच्चों के लिए होता है कि मैं भले ही गरीबी में पढ़ी हूं, लेकिन मेरी बेटी या बेटा बड़ा आदमी बन जाए। माता पिता को मत भूलिए, उन्होंने संघर्षो से आपको आगे बढ़ाया है। बेटा बेटी भले ही पढ़कर विदेश चला जाए, लेकिन माता पिता देश मे रहकर खुश रहते हैं। महाभारत में अर्जुन ने जब धनुष रख दिया, तो भगवान अर्जुन ने गीता का उपदेश दिया। कहा कि यह धर्म का युद्ध है।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को बेस्ट प्रैक्टिस करना होगा। नैक में यह नियम है। गांव गोद लेना चाहिये। आंगनवाडी में जाएं, वहां सुविधाएं दें। कई विश्वविद्यालय यह कार्य नहीं कर रही हैं। प्रधानमंत्री स्वच्छता के लिए इतना कार्य कर रहें हैं। विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं गांव जाएं। ग्राम प्रधानों को जागरूक करें। नल से जल कार्यक्रम चल रहा है।

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