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दशहरा के दिन खुला दशानन मंदिर का पट, भक्तों ने तरोई के फूल चढ़ाकर की रावण की पूजा

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मंदिर को केवल दशहरा के दिन खोला जाता है

इस मंदिर में रावण को 364 दिनों तक बंदी बनाकर रखा जाता है और मंदिर को केवल विजय दशमी (दशहरा) के दिन खोला जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में रावण के दर्शन करने से न सिर्फ बुरे विचार खत्म होते हैं, बल्कि दिमाग भी तेज होता है। दशहरे पर रावण मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु उमड़ते हैं। देशभर में रावण के चार मंदिर हैं, लेकिन कानपुर का मंदिर उत्तर प्रदेश में अपनी तरह का अनूठा मंदिर है।

आरती शुरू होकर शाम को रावण दहन तक चलेगी

कानपुर की रामलीलाओं में जिस समय लोग रावण दहन के दौरान ‘सियापति रामचंद्र की जय’ का जाप करते हैं, उस समय लोगों का एक समूह शिवला क्षेत्र में लंकापति की पूजा करने के लिए आता है। दशानन मंदिर में इस वर्ष भी दशहरे के दिन सुबह 9:00 से रावण की पूजा और आरती शुरू होकर शाम को रावण दहन तक चलेगी।

‘लोग इस मंदिर में साल में एक दिन रावण के दर्शन के लिए आते हैं’ 

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1868 में मुख्य मंदिर के निर्माण के लगभग 50 साल बाद किया गया था। राक्षस राजा का मंदिर छिन्नमस्तिका देवी मंदिर के बाहर बनाया गया है, क्योंकि माना जाता है कि रावण देवी का ‘चौकीदार’ भी था। मंदिर के पुजारी धनंजय तिवारी कहते हैं, “लोग इस मंदिर में साल में एक दिन रावण के दर्शन के लिए आते हैं। दशहरे की शाम में रावण के पुतले में आग लगा दी जाती है, उसके बाद मंदिर का दरवाजा एक साल के लिए बंद कर दिया जाता है।”

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