फोटो – जीना हास्पेल
नयी दिल्ली : 30 बरस से ज्यादा समय से सीआइए से जुड़ीं और अपने कई सख्त फैसलों के कारण आलोचना का शिकार बनीं जीना हास्पेल को अमेरिका की इस शीर्ष खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया है. यह पहला मौका है, जब इस प्रतिष्ठित पद के लिए एक महिला का चयन किया गया. एक अक्तूबर 1956 को एशलैंड, केंटुकी में जन्मी जीना चेरी हास्पेल को पिछले साल सात फरवरी को सीआइए का उप-प्रमुख बनाया गया था. वह साल 1985 से सीआइए से जुड़ी हैं और उनके पास विदेशी मामलों का बेहतर अनुभव हैं. खुफिया एजेंसी के साथ काम करते हुए वह अधिकतर समय गुप्त एजेंट रहीं.
अमेरिका में 9/11 हमले के बाद सीआइए के पूछताछ कार्यक्रम में उनकी भूमिका की विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों द्वारा भारी आलोचना की जा रही थी, लेकिन छह डेमोक्रेटिक सीनेटरों के समर्थन के साथ उन्होंने 45 के मुकाबले 54 वोट हासिल कर जीत हासिल की. सीआइए के अगले निदेशक पद के लिए जीना को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नामित किया था. उनकी जीत के तुरंत बाद पर ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘हमारी नई सीआइए निदेशक जीना हास्पेल को बधाई.’
इस दौरान उन्होंने खुफिया सूचनाएं जुटाने, उनका विश्लेषण करने, गुप्त कार्रवाई करने और विदेशी संबंधों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. शुरुआती शिक्षा की बात करें तो जीना ने ब्रिटेन में अपनी हाईस्कूल शिक्षा ग्रहण की और तीन वर्ष तक यूनिवर्सिटी आफ केंटुकी से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने 1974 में यूनिवर्सिटी ऑफ लुइविल से पढ़ाई की. उन्होंने जनवरी 1985 में सीआइए में रिपोर्ट्स अधिकारी के तौर पर कदम रखा और विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए इसके शीर्ष तक जा पहुंचीं. सीआइए में उनके करियर में कई बार मुश्किल हालात भी पेश आए.
करीब तीन दशक से सीआइए अधिकारी जीना जल्द ही सीआइए प्रमुख के तौर पर शपथ ग्रहण करेंगी. वह अफ्रीका, यूरोप और विश्व में कई खुफिया जगहों पर काम कर चुकी हैं. इस समय एशबर्न, वर्जीनिया में रहने वाली हेस्पल ने खुफिया एजेंसी में रहते हुए विभिन्न जिम्मेदारियों को संभाला. उन्हें 1980 में अफ्रीका में गुप्त रूप से भेजा गया था, जहां उन्होंने मदर टेरेसा की मदद की थी. सीआइए की निदेशक नियुक्त होने से पहले वह केस ऑफिसर, चार बार स्टेशन चीफ, नेशनल रिसोर्सेज डिवीजन की डिप्टी चीफ, राष्ट्रीय गुप्त सेवा की डिप्टी डायरेक्टर और सीआइए की डिप्टी डायरेक्टर रहीं. सीआइए की प्रमुख के तौर पर हास्पेल ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों को इस बात का आश्वासन दिया है कि वह 9/11 हमले के बाद चलाए गए पूछताछ अभियान की पुनरावृति नहीं करेंगी.
जीना को संदिग्ध चरमपंथियों के प्रति बहुत सख्त रवैया अपनाने के लिए जाना जाता है. द न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक़, जीना हास्पेल उन अधिकारियों में शामिल थीं जिनके सामने साल 2002 में दो संदिग्ध चरमपंथियों को पूछताछ के नाम पर बुरी तरह प्रताड़ित किया गया था. इसके अलावा, वह उस आदेश में भी शामिल रहीं जिसमें थाईलैंड के एक गुप्त जेल में क्रूर तरीक़े से पूछताछ के वीडियो नष्ट करने को कहा गया था. द न्यू यॉर्कर के मुताबिक़, साल 2003 से 2005 तक वो सीआइए के एक गुप्त कार्यक्रम की वरिष्ठ अधिकारी भी थीं और इस पद पर रहते हुए दर्जनों संदिग्ध चरमपंथियों के साथ उनके क्रूर रवैए को लेकर उनकी आलोचना की गयी थी. ऐसा कहा गया था कि क्रूर कार्रवाई के तहत संदिग्ध चरमपंथियों को सोने नहीं दिया जाता था और उन्हें ताबूत में क़ैद कर दिया जाता था. ऐसा भी नहीं है कि उनके काम की सिर्फ आलोचना ही हुई हो. आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए जीना हास्पेल को जॉर्ज एस डब्ल्यू बुश सम्मान प्रदान किया गया. उन्हें डोनोवान अवार्ड, द इंटेलिजेंस मेडल ऑफ मेरिट और द प्रेजिडेंशियल रैंक अवार्ड से भी नवाजा गया. यह 61 वर्षीय जीना का काम और उनके काम करने का अंदाज ही था कि सीआइए की वह पहली महिला निदेशक बनीं.