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जिला कारागार में गजब की टायलेट व्यवस्था

केवल शोपीस के लिए ही है महिला व पुरूष टायलेट दोनो टायलेटो में नही होती सफाई, पुरूष टायलेट के दरवाजे टूटे तो महिला टायलेट में भरा कूडा कारागार में कैदियों से मिलने आने वाली महिला व पुरूष इन टायलेट को यूज करने पर मजबूर

NETWORK TODAY.IN

कानपुर नगर18 मई ।  देश के प्रधानमंत्री पूरे देश में स्वच्छता का संदेश दे रहे है, कानपुर नगर को अधिकारियों ने साफ-सफाई में एक नम्बर कर दिया है  लेकिन वहीं विश्वस्तर पर कानपुर का नाम गंदगी से अव्वल आया है। स्वच्छता के लिए प्रधानमंत्री द्वारा गांवो में शौचालय, ई टायलेट आदि पर फोकस किया जा रहा है लेकिन कानपुर में विभागीय अधिकारी ही प्रधानमंत्री के संदेश को धता बता रहे है। बात करते है कानपुर जिला कारागार की जहां कैद लोगो से सोमवार से शुक्रवार तक उनके परिजन मिलने आते है। मिलाई करने वालो में महिलाये और पुरूष होते है। मिलाई प्रक्रिया से गुजरने में समय लगता है ऐसे में यदि किसी को टायलेट लगती है तो उसे परेशानी से गुजरना पडता है।  जिलाकारागार में बंद कैदियो से उनके महिला व पुरूष परिजन सैकडो की संख्या में रोज आते है। सुबह पर्ची बनवाने से लेकर मिलाई करने तक में दो घंटे का समय लग जाता है। कारागार के अन्दर प्रवेश करते हुए बाये हाथ पर टीन शेड बना है जहां महिलाये, लडकिया, पुरूष व बच्चे बैठते है यहां बैठने की उचित व्यवस्था नही है। छोटे से टीन शेड के कारण पूरे लोग नही बैठ पाते ऐसे में उन्हे धूप में खडा होना पडता है। वहीं बगल में महिलाओं और पुरूषो के लिए प्रसाधन केबिन बना है जिसपर स्वच्छ भारत का बैनर लगा है। मजे की बात तो यह कि टायलेट की जगह तो बना दी गयी लेकिन टायलेट लोटे ही पतली खोखली नली को चारो ओर लगाकर उसपर स्वच्छता का बैनर लगा दिया गया है। पुरूष टायलेट में बैनर फट चुका है, खानापूर्ति के नाम पर लगा दरवाजा टूट गया है, सफाई न होने के कारण गंदगी व बदबू से लोग परेशान होते है। इससे भी बुरा हाल महिला टायलेट का है जिसके अन्दर कूडा व ईंट भरी है। मजबूर होकर महिलाये इस टायलेट का उपयोग करती है तो कई महिलाये गंदगी और बदबे के कारण दूसरी व्यवस्था खोजती नजर आती है। कारागार के बाहर मिलाई प्रक्रिया सम्पन्न कराने के लिए एक दर्जन महिला व पुरूषकर्मी होते है साथ ही जेलर व अन्य अधिकारियों के साथ नेता भी जेल का निरीक्षण करते है लेकिन इस आम समस्या पर कोई ध्यान नही दे रहा है वहीं जेल प्रशासन की नजर से सब है लेकिन जाता की परेशानी से किसी को क्या मतलब।

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