
गोरखपुर। मुख्यमंंत्री पद की दोबारा शपथ लेने के बाद यूं तो गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर का दूसरा दौरा था लेकिन ठहराव और परिणाम के नजरिए से देखा जाए तो इसे पहला मानना उचित होगा। क्या कुछ नहीं किया मुख्यमंत्री ने किया इन चार दिन में। पीठ की परंपरा पूरी निष्ठा से निभाई तो राजधर्म का भी पूरी सजगता से निर्वहन किया। लाेकतांत्रिक अधिकार के प्रयोग में तो आगे रहे ही, जनता की बीच जाना भी नहीं भूले।
परिणाम के नजरिए से बेहद उपयोगी रहा योगी का चार दिवसीय दौरा
आठ अप्रैल की दोपहर बाद गोरखपुर पहुंचने के साथ ही योगी अपने दायित्वों के निर्वहन में लग गए। जिले में उनका पदार्पण ही उस निर्माणाधीन गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में हुआ, जिसमें कुछ दिन पहले गुणवत्ता की कमी के चलते पिलर गिर गया था। निर्माण कार्य का निरीक्षण करने के दौरान उन्होंने इसे लेकर अफसरों की खूब क्लास लगाई। वहां से वह सीधे गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज पहुंचे और जहां बीएएमएस के पहले बैच में दाखिला लिए बच्चों का हौसला बढ़ाया। कालेज आफ नर्सिंग के लैंप लाइटिंग कार्यक्रम का भी हिस्सा बने। यानी प्रशासनिक दायित्व के तत्काल बाद अकादमिक दायित्व का निर्वहन। पहले दिन दायित्वों के निर्वहन का सिलसिला वहीं नहीं थमा। गोरखनाथ मंदिर में रात्रि विश्राम से पहले उन्होंने कानून व्यवस्था और विकास कार्यों की प्रगति को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक भी की।
राजधर्म निभाने से हुई दौरे की शुरुआत, जनता दर्शन से हुआ समापन
अगले दिन यानी नौ अप्रैल को मुख्यमंत्री नियमित पूजा-पाठ के बाद लोकतांत्रिक अधिकार के इस्तेमाल के लिए सुबह आठ बजे ही नगर निगम पहुंच गए, वहां एमएलसी चुनाव के लिए मतदान किया। पत्रकारों से मुखातिब होकर सरकार की आगामी कार्ययोजनाओं को साझा भी किया। वोट देने के बाद सुबह से लेकर शाम तक लोगों से मिलने-मिलाने का सिलसिला चलता रहा। इस क्रम में कभी उन्होंने उद्योगपतियों का मार्गदर्शन किया तो कभी अकादमिक संस्थान के प्रमुख को अध्ययन-अध्यापन को उपयोगी बनाने की सलाह दी। वासंतिक नवरात्र की नवमी तिथि पर 10 अप्रैल को उन्हें कन्या पूजन की परंपरा का निर्वहन करना था लेकिन उससे पहले वह आरोग्य मेले का उद्घाटन करने जंगल कौड़िया पहुंच गए। उस कार्यक्रम को भी उन्होंने पर्व का एक हिस्सा ही माना।
कन्याओं को पूजा तो रामलला काे पालने भी झुलाया
नवरात्र की नवमी तिथि पर मां भगवती के नौ स्वरूप की प्रतीक नौ कुंवारी कन्याओं को पूजने की नाथ पीठ की परंपरा के प्रति भी मुख्यमंत्री योगी पूरी तरह सजग रहे। निर्धारित समय सुबह 11 बजे वह बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर कन्या पूजन की परंपरा निभाने गोरखनाथ मंदिर के अन्न क्षेत्र पहुंच गए, जहां नौ कन्याओं के साथ बड़ी संख्या में बच्चे उनका इंतजार कर रहे थे। इस परंपरा को तो उन्होंने निभाया ही, तत्काल बाद भगवान राम का जन्मोत्सव मनाने उस स्थल पर पहुंचे, जहां पालने में रामलला विराजमान थे। उन्होंने रामलला को पालने में झुलाया और आरती भी उतारी।
जनता दर्शन में बांटा लोगों का दर्द
चार दिन के ठहराव के दौरान दो दिन मुख्यमंत्री उन लोगों बीच भी गए, जो समाधान की उम्मीद लेकर उनसे सीधे अपनी समस्या कहने आए हुए थे। पहले दिन यानी 10 अप्रैल को उन्होंने 500 लोगों का दर्द बांटा। संख्या अधिक होने के चलते जनता दर्शन के लिए वह गोरखनाथ मंदिर के हिंदू सेवाश्रम के अलावा यात्रा निवास भी गए। सोमवार को लखनऊ रवाना होने से पहले भी वह जनता दर्शन करना नहीं भूले और 100 लोगों से मिलने के बाद ही रवानगी हुई।