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क्या सलमान नदवी को नहीं पहचानते थे भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’… PFI बैन पर यू टर्न के बाद सोशल मीडिया पर घिरे NSA अजीत डोभाल

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नई दिल्ली: बीती 30 जुलाई को दिल्ली के कॉन्सीट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया। यूं तो इस क्लब में हर रोज कई सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम होते रहते हैं मगर ये खास था। इसके खास होने की वजह थी भारत के एनएसए अजीत डोभाल का शिरकत करना। ये एक अंतरधार्मिक सम्मेलन था और इसमे विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इसी बैठक में पीएफआई संस्था को बैन करने का प्रस्ताव भी पास हुआ मगर दो दिन बाद ही इसमे मौजूद नेता अपनी बात से पलट गए। वही नेता अब पीएफआई को समर्थन करने की बात कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग डोभाल की मौजूदगी पर प्रश्न उठा रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे वक्त पर जब देश में सिर तन से जुदा जैसे नारे बोले जा रहे हैं तो डोभाल वहां क्यों मौजूद थे ?

एक सुर में पीएफआई बैन की बात
देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। दिल्ली के ‘कॉन्स्टिट्यूशन क्लब’ में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) की तरफ से कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अंतरधार्मिक सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई। संस्था के फाउंडर हजरत सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि सर तन से जुदा स्लोगन एंटी इस्लामिक है। यह तालिबानी सोच है, इसका मुकाबला करने के लिए बंद कमरों की जगह खुले में आकर लड़ाई की जरूरत है। मगर ये सब केवल दो ही दिन में बदल गया।
कार्यक्रम में सैयद सलमान नदवी (Salman Nadwi) भी शामिल हुए थे। सलमान नदवी वही शख्स हैं जिसने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने पर सबसे पहले बधाई संदेश जारी किया था। आईएसआई जैसे आतंकी संगठन के लिए ट्वीट किया था। मुस्लिम ब्रदरहुड के कट्टर समर्थक रहे हैं। अब ये पूरी तरह से अपने बयान से पलट गए हैं। इनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोग अजीत डोभाल से सवाल पूछ रहे हैं।

 

द स्किन डॉक्टर नाम के यूजर ने ट्विटर पर कहा है कि अजीत डोभाल वहां जा रहे हैं और चिश्ती रेडिका संगठन के खिलाफ एक गुप्त बयान दे रहे हैं और विशेष रूप से उनके प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं। अगर यह सब अंतिम पीएफआई प्रतिबंध के लिए आधारभूत कार्य बनाने की योजना का हिस्सा है, तो बहुत अच्छा किया गया। नहीं तो एनएसए को सूफी कार्यक्रम में भेजने का घटिया कदम था।

मोनिका वर्मा नाम की यूजर ने लिखा है कि सलमान नदवी वो हैं, जिस मौलवी से एनएसए अजीत डोभाल मिले थे। वह पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के अपने समझौते से मुकर गए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ एक मजाक है या एक चरमपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए हमें मुस्लिम ब्रदरहुड से मान्यता की क्या आवश्यकता है?

एक अन्य यूजर ने एक लेटर के साथ पोस्ट लिखा है। ये लेटर उर्दू भाषा में लिखा हुआ है और लेटर हेड पर सलमान नदवी का नाम लिखा हुआ है। इस लेटर के कैप्शन में लिखा है कि सलमान नदवी ने अल बगदादी को बधाई दी थी और आईएसआईएस की स्थापना पर अपना उत्साह व्यक्त किया था। पिछले सप्ताह एनएसए डोभाल के साथ बैठक में मौजूद थे। इसके बाद उन्होंने चकित होने जैसा इमोजी बनाया।

दिव्या नाम के एकाउंट से ट्वीट कर कहा गया कि बेहद शर्म की बात यह है कि डोभाल इस इस्लामवादी के साथ मंच साझा करने के लिए खेद व्यक्त करने के बजाय इसके विपरीत है।

संजय दीक्षित नाम के यूजर ने लिखा कि सूफी हिंदुओं को मूर्ख बनाने में महान हैं। यहां एक और सबूत है, जिसमें अजीत डोभाल इच्छुक सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। डोभाल समय से 15 साल पीछे हैं, क्योंकि इंटरनेट ने उनके तरीकों और मंशा को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।

एक अन्य यूजर ने लिखा है कि डोभाल के कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। डोभाल ने ISIS से हमदर्दी रखने वाले के साथ मंच साझा किया। डोभाल पाकिस्तान के साथ गुप्त वार्ता कर रहे हैं। यदि कांग्रेस का कोई एनएसए ऐसा कर रहा होता तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती ?

रितु नाम की यूजर ने लिखा है कि एनएसए अजीत डोभाल ने आज मौलाना सलमान हुसैना नदवी के साथ मंच साझा किया। ये ट्वीट उसी दिन का है जिस दिन दिल्ली में ये कार्यक्रम हुआ था। वो आगे लिखती हैं कि कौन हैं #सलमान नदवी ? बताया जा रहा है कि उसने आईएसआईएस से संबंध होने की घोषणा की थी। इस्लाम-वहाबवाद की अत्यधिक कट्टरपंथी शाखा का अनुयायी है। मुस्लिम ब्रदरहुड का कट्टर समर्थक है। ऐसे लोगों पर भरोसा किया जा रहा है?

दो दिन में पलट गया नदवी
सलमान नदवी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्होंने जिस कार्यक्रम में शिरकत की उन्हें नहीं पता कि PFI पर प्रतिबंध की बात हो रही है और

न ही किसी पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि किसी संगठन के किसी एक व्यक्ति के गलत काम की वजह से पूरे संगठन को तो बैन नहीं कर सकते। उन्होंने पीएफआई की बात करते हुए इसकी तुलना आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद से कर डाली।

30 जुलाई को हुआ था सम्मेलन
इस सम्मेलन में एनएसए अजीत डोभाल ने कहा था कि कुछ लोग धर्म और विचारधारा के नाम पर वैमनस्यता पैदा करते हैं जो पूरे देश को प्रभावित करता है और इसका मुकाबला करने के लिए धर्मगुरुओं को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि गलतफहमियों को दूर करने और हर धार्मिक संस्था को भारत का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। डोभाल ने सम्मेलन में कहा, ‘कुछ लोग धर्म के नाम पर वैमनस्यता पैदा करते हैं जो पूरे देश पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। हम इसके मूकदर्शक नहीं हो सकते। धार्मिक रंजिश का मुकाबला करने के लिए हमें एक साथ काम करना होगा और हर धार्मिक संस्था को भारत का हिस्सा बनाना होगा। इसमें हम सफल होंगे या नाकाम होंगे।’

 

 

 

 

 

 

 

 

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