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बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिन्हें दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार किया जाता है, उनकी नींद इन दिनों उड़ी हुई है। तीसरे कार्यकाल की तरफ देखने वाले जिनपिंग और उनकी सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जो प्रदर्शन जारी हैं, उन पर कैसे लगाम लगाई जाए। जीरो कोविड नीति के चलते देश में लॉकडाउन लगाया गया और अब जनता इसके खिलाफ सड़क पर उतर आई है। जीरो कोविड पॉलिसी और लॉकडाउन की वजह से जो प्रदर्शन हो रहे हैं, वो पिछले करीब तीन दशकों में सबसे बड़ा प्रदर्शन है। रविवार को जब यह प्रदर्शन हिंसक हो गया तो अथॉरिटीज की धड़कने और बढ़ गईं। लोगों को अब साल 1989 में हुआ तियानमेन स्क्वॉयर प्रदर्शन याद आ गया है। उस समय भी लोग शासन के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे और लोगों को रोकने के लिए सरकार ने मासूमों पर टैंक तक चढ़वा दिए थे
प्रदर्शन पर उतरे छात्र
बीजिंग की शिनगुआ यूनिवर्सिटी के हजारों छात्र तानाशाह सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। इन छात्रों के हाथ में कई प्लेकार्ड्स हैं जिन पर जिनपिंग के शासन के खिलाफ कई नारे लिखे हैं। छात्र ‘लोकतंत्र’ और ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ की बात कर रहे हैं। यह यूनिवर्सिटी नया मामला है जहां पर विरोध भड़का है। 5 अप्रैल 1989 को चीन के तियानमेन में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। जून 1989 में जाकर इन प्रदर्शनों पर लगाम लग सकी थी। अब इस यूनिवर्सिटी के हजारों छात्र उसी तर्ज पर सड़क पर उतर आए हैं।