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चंडीगढ़- कहते है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, हर इंसान अपने पेट के लिए मेहनत करता है., लेकिन एक ऐसा समुदाय है जो काफी समय से अपने मानवाधिकारों के लिए और समाज मे अपनी पहचान पाने के लिए लड़ता आ रहा है.
इस समुदाय को हमारे देश मे वेश्या या सेक्स वर्कर्स के नाम से जाना जाता है. ये वो लोग है जिन्होंने अपनी जिंदगी मे दुख, पीड़ा, लोगों के ताने और बेइज्जती सही है. कुछ लोग इनके काम की कद्र करते है, लेकिन कई लोग ऐसे है जो इनके काम को धंधे का नाम देते है.
मगर वीरवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस समुदाय के लोगों में खुशी की लहर देखने को मिली. मानों इस फैसले से इनकी जिंदगी बदल गई हो. चलिए बताते है कि आखिर क्या है वो फैसला?
सुप्रीम कोर्ट का आदेश…
सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को एक प्रोफेशन माना है. वीरवार को सुनाए गए इस फैसले मे सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा की वेश्यावृत्ति एक पेशा है और पुलिस सेक्स वर्कर्स को किसी भी तरह से परेशान न करें.
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सेक्स वर्कर भी कानून के समक्ष सम्मान और बराबरी के हकदार हैं. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करें.
‘वेश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं‘
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत हर नागरिक को जीवन जीने का अधिकार मिला है. वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है, मगर वेश्यावृत्ति कोई अपराध नही है. कोर्ट ने कहा कि महिला सेक्स वर्कर है, सिर्फ इसलिए उसके बच्चे को मां से अलग नहीं किया जा सकता है. पुलिस बेवजह किसी सेक्स वर्कर को गिरफ्तार या परेशान न करें.
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अलग अलग तरह की राय दी.. जहां एक ओर कुछ लोगों ने इस फैसले की सरहाना की है. वहीं दुसरी ओर कुछ लोगों ने इस फैसले की अवहेलना भी की है.
सेक्स वर्कर्स को कानूनन तौर पर पहचान मिलने पर बहुत से लोगों ने इस फैसले को उनके हित मे बताया है. फैसले से लगता है कि हालात बदल सकते हैं. लेकिन कुछ लोगों का ये भी मानना है कि अब निर्दोष महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए मजबूर किया जाएगा.