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कानपुर. आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति रहे प्रो. विनय पाठक ने सारे नियम कायदे किनारे कर दिए। अपने कार्यकाल की अंतिम कार्य परिषद की बैठक में भी खेल कर दिया। समिति की मिनिट्स पर खुद हस्ताक्षर न कर प्रति कुलपति से हस्ताक्षर कर सभी एजेंडों पर मुहर लगवा दी। अब विश्वविद्यालय प्रशासन इसको दबाने में लगा है।
प्रो. पाठक के पास 27 जनवरी से 30 अक्तूबर 2022 तक विश्वविद्यालय में कुलपति का प्रभार रहा। 12 सितंबर को कार्य परिषद की बैठक हुई, जिसमें परीक्षा समिति, प्रवेश समिति समेत अन्य समितियों के मुद्दों को रखा गया। इनको कुलपति के प्रभाव के आगे किसी ने विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटाई और सभी एजेंडों पर अंतिम मुहर लग गई। इसमें भी प्रो. पाठक ने खेल किया। चालाकी दिखाते हुए खुद ने बिल पर हस्ताक्षर नहीं किए, जबकि कार्य परिषद के अध्यक्ष होने के नाते उनके हस्ताक्षर अनिवार्य हैं। उनके स्थान पर प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा से हस्ताक्षर करवाए गए। अब प्रो. पाठक के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की जांच शुरू हुई है तो ये मामला भी सामने आया है। प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा का कहना है कि बैठक खत्म होने से पहले वे किसी कार्य से चले गए थे, इस कारण उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए।