Trending

President Election 2022: द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय, 5.5 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर रचेंगी इतिहास

Network Today

Thu, 23 Jun 2022-10: 55am,

President Election 2022: ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) का समर्थन मिलने के बाद NDA की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के निर्वाचन का रास्ता और भी आसान हो गया है. वहीं इस पूरे घटनाक्रम से प्रभावित हुए बगैर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का कहना है कि यह विचारधारा की लड़ाई है और देश को ‘रबड़-स्टांप राष्ट्रपति’ की जरूरत नहीं है.

नवीन पटनायक की पार्टी का समर्थन मिलने के साथ ही ओडिशा के संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली मुर्मू के पास करीब 52 फीसदी वोट (करीब 5,67,000 वोट) हो गए हैं. राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 10,86,431 वोट हैं. मुर्मू को मिलने वाले इन संभावित वोटों में से 3,08,000 वोट बीजेपी  और उसके सहयोगी सांसदों के हैं. वहीं बीजेडी के पास करीब 32,000 वोट हैं जो कुल मत मूल्य का करीब 2.9 फीसदी है.

नवीन पटनायक ने की ये अपील 

 

बीजेडी अध्यक्ष व ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य विधानसभा के सभी सदस्यों से अनुरोध किया कि वे 18 जुलाई को होने वाले चुनाव में 64 वर्षीय मुर्मू का साथ दें. फिलहाल इटली की यात्रा पर गए पटनायक ने मुर्मू को ओडिशा की बेटी बताते हुए उनका समर्थन करने की अपील की.

वहीं, बुधवार सुबह भुवनेश्वर रवाना होने से पहले मुर्मू ने ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी बहुल रायरंगपुर में शिवमंदिर में तड़के झाडू लगाया. झारखंड के राज्यपाल पद से अगस्त, 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद तड़के मंदिर में झाड़ू लगाना मुर्मू की दिनचर्या का हिस्सा बन गया था.

अन्य दिनों की तरह ही मुर्मू ने स्नान के बाद मंदिर में पूजा की और नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कही. गौरतलब है कि बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा द्वारा मंगलवार की रात राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में मुर्मू के नाम की घोषणा किए जाने के बाद केन्द्र सरकार ने उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा मुहैया करायी है।

मंदिर में पूजा के दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने मंदिर को चारों ओर से घेर रखा था.हालांकि, कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने कहा कि बीजेपी ने निर्वाचक मंडल में बीजेडी के वोटों को ध्यान में रखते हुए मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया है.

उन्होंने कहा, ‘‘संभवत: उनके उपयुक्त उम्मीदवार होने के बावजूद हम चुनाव में उनका समर्थन ना करें.’’ निर्वाचित होने पर मुर्मू देश की पहली आदिवासी और सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति होंगी और आशा है कि उन्हें अन्नाद्रमुक और वाईएसआर कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टियों का भी समर्थन मिलेगा.

 

यशवंत सिन्हा ने क्या कहा

आशा की जा रही है कि मुर्मू 24 जून को अपना नामांकन पत्र भरेंगी और इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित NDA के विभिन्न वरिष्ठ नेता उनके साथ मौजूद होंगे. वहीं, विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 27 जून को पर्चा भरेंगे. उन्होंने बुधवार को दिल्ली में एनसीपी के कार्यालय में अपनी पहली चुनाव प्रचार रणनीति से जुड़ी बैठक की. पत्रकारों से बातचीत में 84 वर्षीय सिन्हा ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है बल्कि यह देश से जुड़ा मुद्दा है.

बीजेपी से 2018 में अलग हुए सिन्हा हमेशा नरेंद्र मोदी नीत सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं और उनका कहना है, ‘‘मैं उन सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में मुझे अवसर दिया. यह चुनाव मेरी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. देश के सामने खड़े मुद्दों के आधार पर निर्वाचक मंडलों को फैसला करना है.’’

 

उन्होने कहा, ‘‘हम प्रचार के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर जाएंगे… हम उसी को लेकर रणनीति बना रहे हैं. मैं द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूं, लेकिन यह चुनाव ‘मैं बनाम वह’ नहीं है, यह वैचारिक मुकाबला है. देश में रबर-स्टाम्प राष्ट्रपति नहीं होना चाहिए.’’

 

सिन्हा की चुनावी रणनीति से जुड़ी बुधवार को हुई बैठक में जयराम रमेश (कांग्रेस), के. के. शास्त्री (एनसीपी) और सुधींद्र कुलकर्णी जैसे नेता शामिल हुए. बाद में एक बयान जारी करके सिन्हा ने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो भय या पक्षपात के बिना संविधान के बुनियादी मूल्यों और विचारों को अक्षुण रखेंगे.

 

उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान के संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों के बीच केंद्र सरकार राज्य सरकारों के वैधानिक अधिकारों और शक्तियों को छीनने की कोशिश कर रही है जो पूरी तरह अस्वीकार्य होगा.

 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुने जाने पर वह किसानों, कामगारों, बेरोजगार युवाओं और वंचित तबकों के लिए आवाज उठाएंगे. बीजेपी के अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी चुनाव प्रक्रिया में शामिल पार्टी नेताओं के साथ बैठक की.

 

संभावना है कि मुर्मू और सिन्हा दोनों ही चुनाव से पहले देश का दौरा करेंगे और अपने-अपने पक्ष में जनप्रतिनिधियों तथा राजनीति दलों का समर्थन जुटाने का प्रयास करेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के रूप में झारखंड की पूर्व राज्यपाल मुर्मू का चयन करके बीजेपी ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है और ऐसा लग रहा है कि वह इस कदम से लोगों को आकर्षित करने में सफल रही है. गौरतलब है कि मौजूदा राष्ट्रपति कोविंद दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जबकि मुर्मू आदिवासी संथाल समुदाय से आती हैं.

 

बीजेपी के पास स्पष्ट बढ़त

 

ताजा आंकड़ों के मुताबिक संसद के दोनों सदनों के कुल 776 सदस्यों में बीजेपी के कुल 393 सदस्य हैं. इनमें राज्यसभा के चार मनोनीत सदस्य शामिल नहीं हैं क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में वे मतदान नहीं कर सकते. इस लिहाज से बीजेपी के पास स्पष्ट बढ़त है.

 

वहीं अगर जनता दल (यूनाईटेड) के 21 सांसदों के अलावा राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल और पूर्वोत्तर के क्षेत्रीय व सहयोगी दलों के सांसदों की सदस्य संख्या को जोड़ लिया जाए तो बीजेपी उम्मीदवार और मजबूत स्थिति में पहुंच जाती है.

 

राज्यसभा व लोकसभा के सदस्यों के वोट का मूल्य करीब 700 हैं. राज्यों में कुल 4033 विधायक हैं. राज्य के हिसाब से इन विधायकों का मत निर्धारित है. राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होना है. इसके लिए नामांकन 29 जून तक भरा जा सकेगा और चुनाव परिणाम की घोषणा 21 जुलाई तक हो जाएगी. राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है.

 

साभार  – जी न्यूज़

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button