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कानपुर। शहर के एक प्राइवेट हास्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद छह रोगियों की आंख की रोशनी चली गई। ऑपरेशन के बाद रोगियों ने हास्पिटल पहुंचकर आंख में दिक्कत होने की बात बताई, मगर डॉक्टरों ने इलाज करने के बजाय उन्हें भगा दिया। शिकायत के बाद सीएमओ ने मामले की जांच के आदेश दिये हैं और हास्पिटल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।
कानपुर दक्षिण के बर्रा बाईपास स्थित आराध्या हॉस्टिपटल में दो नवंबर को नेत्र शिविर लगाया गया था। यह शिविर स्वास्थ्य विभाग की डीबीसीएस योजना के तहत लगाया गया था। यहां आपॅरेशन के लिए शिवराजपुर के रहने वाले छह मरीजों ने अपना पंजीयन कराया था। परीक्षण के बाद सभी रोगियों को दूसरे दिन सुबह भर्ती किया गया और दोपहर बाद डॉक्टर नीरज गुप्ता ने ऑपरेशन करके शाम को ही डिस्चार्ज कर दिया। पीड़ित लोगों का कहना है कि आपॅरेशन के बाद ही सभी की आंखों में दर्द था और पानी भी निकल रहा था, मगर परेशानी बताने के बाद भी दवा देकर घर भेज दिया गया।
घर जाने के बाद भी उनका न तो दर्द ठीक हुआ और न ही आंसू निकलना बंद हुए। आराम नहीं मिलने पर मरीजों के परिजनों ने अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर से सम्पर्क कर दिक्कत बताई, लेकिन सभी को समझा-बुझाकर वापस कर दिया गया। दर्द और आंसू की दिक्कत से परेशान नेत्र रोगी कुछ दिनों तक स्थिति सामान्य होने का इंतजार करते रहे, लेकिन ऑपरेशन वाली आंख में रोशनी नहीं आई। मंगलवार को परिजन सीएमओ डॉ. आलोक रंजन से मिले और पूरे मामले की शिकायत की। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई का आश्वासन दिया।