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कानपुर। हिमालयन गिद्ध का जोड़ा शनिवार को कानपुर के बजरिया स्लाटर हाउस पहुंचा। वहां मौजूद लोगों ने एक गिद्ध को पकड़ लिया। जबकि दूसरा भाग गया। गिद्ध को देखने के लिए आस-पास के लोग जुट गए। सूचना पाकर पहुंचा जू प्रशासन ने गिद्ध को कब्जे में लिया।
जू के अफसरों ने बताया कि गिद्ध भोजन की तलाश में उड़ता हुआ कानपुर पहुंचा। जहां कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया। फिर जू प्रशासन को सूचना देकर उनके हवाले कर दिया गया। वन्य जीव एक्सपर्ट डॉ. आरके सिंह ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में बर्फीले तूफान के कारण अक्सर ये गिद्ध भोजन की तलाश में चले आते हैं। जहां सर्दी होती है। सितंबर के बाद अक्सर ये यूपी में मंडराते देखे जाते है।
मृत पशुओं का मांस खाकर वातावरण को रखते हैं शुद्ध
मृत पशुओं का मांस खाकर यह वातावरण शुद्ध रखते हैं। भोजन के दौरान इसका पूरा सिर गंदा हो जाता है। इसलिए भोजन करने के बाद नहाना पसंद करते है। जू में इसकी संख्या अब तीन हो गई है। एक नवंबर 2022 को एक गिद्ध इटावा से लाया गया है, जबकि एक पहले से जू में है।
25 से 35 साल जीते हैं
ये गिद्ध एक ही जोड़ा बनाते हैं। यह जोड़ा साल दर साल एक ही घोंसले वाली जगह पर बार-बार आते हैं। दोनों मिल कर नया घोंसला बनाते हैं या फिर पुराने घोंसले को फिर से ठीक करके काम में लेते हैं। नर और मादा मिलकर चूजों को पालते हैं। मादा एक ही अंडा देती है। गिद्ध की यह प्रजाति भी धीरे-धीरे कम हो रही है। इसकी औसतन आयु 25 से 35 साल तक होती है।
खत्म हो चुकी है तीन प्रजातियां
पक्षियों की यह प्रजाति धीरे-धीरे कम हो रही हैं। 90 के दशक में इनकी संख्या में एकदम से गिरावट आई थी जिसका मुख्य कारण पशुओं को दी जाने वाली दर्द नाशक दवा डायक्लोफिनाक है। जब ये गिद्ध किसी ऐसे मरे हुए जानवर को खा लेते थे, जिसको डायक्लोफिनाक दवा दी होती थी, तो यह गिद्ध के शरीर में जाकर इसकी किडनी को खराब कर देती और गिद्ध मर जाते हैं।