कानपुर न भूलेगा वो सर्द रात, छह माह में पत्नी ने दिया पति की अर्थी को कंधा, रो-रोकर सूखे छह परिवारों के आंसू

कानपुर। सर्द रात कई परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे गई। बस के पहियों तले किसी का सुहाग उजड़ गया तो कई मासूमों के सिर से पिता का साया उठ गया। किसी घर में परिवार संभालने वाला ही नहीं बचा। जवान बेटे को खोने के गम में बुजुर्ग मां बदहवास होकर बार-बार बेहोश होती रहीं तो छह माह में सुहाग उजड़ने और पति की अर्थी को कंधा देने वाली पत्नी के रो-रोकर आंसू ही सूख गए हैं। हादसे में जान गंवाने वाले परिवारों के हर शख्स को उम्रभर का दर्द छोड़ गए।

सुनील : छह माह पहले हुई थी शादी, बीच राह छोड़ गए साथ

लाटूश रोड निवासी 28 वर्षीय सुनील सोनकर उर्फ ट्विंकल एलआईसी एजेंट थे। परिवार में मां लाजवन्ती, दो बहन व एक छोटा भाई रजत है। छह माह पहले नौ जून को सुनील की पूजा से शादी हुई थी। रविवार को वह अपने दोस्त शुभम सोनकर व रमेश यादव के साथ शादी समारोह में चकेरी गए थे। जहां से लौटते समय हादसे का शिकार हो गए। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी को बीच वह राह ही हमेशा के लिए छोड़ गए। मां जवान बेटे की मौत से बदहवास हो चुकी है। बहनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे।

अर्सलान : दूसरे की मदद करने में चली गई जान

कर्नलगंज छोटी सराय में रहने वाले सराफा कारीगर 22 वर्षीय अर्सलान की जान दूसरों की मदद करने में चली गई। वह अपने दोस्त मतीन को घर छोडऩे बाइक से एक और साथी आतिफ के साथ बाबूपुरवा जा रहे थे। कृष्णा हास्पिटल से पहले एक कार डिवाइडर पर चढ़ी हुई थी। अर्सलान ने कार सवार लोगों को जूझते देखा तो मदद को रुक गए। इस बीच घंटाघर की ओर से आ रही बेकाबू बस अर्सलान को रौंदते हुए निकल गई। अब अर्सलान के पीछे परिवार में मां माजदा बेगम के अलावा चार भाई और तीन बहनें हैं।

रमेश यादव : अब परिवार संभालने वाला भी कोई नहीं

मूलरूप से आजमगढ़ के हरिहरपुर निवासी 47 वर्षीय रमेश यादव सिलाई मशीन कारीगर थे। पत्नी उमा व तीन बच्चों के साथ शुक्लागंज के आनंदपुरम में रहते थे। लाटूश रोड निवासी शुभम सोनकर व सुनील सोनकर के साथ स्कूटी से शादी समारोह में चकेरी गए थे। यहां से लौटते समय बेकाबू बस की चपेट में आ गए। स्कूटी सवार तीनों दोस्तों की एक साथ जान चली गई। पोस्टमार्टम हाउस पहुंची पत्नी उमा बार-बार कहती रही कि अब परिवार को कौन संभालेगा। तीन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।

अजीत कुमार : दरवाजा खोलकर पापा को बाहर निकालो

नौबस्ता के केशव नगर डब्लू ब्लाक निवासी 62 वर्षीय अजीत कुमार एसपीएस सिक्योरिटी एजेंसी में गार्ड थे। हादसे में उनकी मौत से परिवार टूट चुका है। पत्नी मालती बेटा अभिषेक और चार बेटियां है। बेटी बार-बार मच्र्युरी का दरवाजा खोलकर पापा को बाहर निकालने की जिद कर रही है। रविवार रात करीब 8:30 बजे वह घर से ड्यूटी के लिए निकले थे। शोरूम के सामने ही डिवाइडर पर चढ़ी कार को निकालने के लिए वह भी मदद करने पहुंचे थे। इस बीच, काल बनकर दौड़ रही बस ने उन्हें भी चपेट में ले लिया।

कैलाश : बूढ़ी मां को दर्द दे गई सर्द रात

चकेरी के रामपुरम में रहने वाले 50 वर्षीय कैलाश रिक्शा चलाते थे। परिवार में एक बूढ़ी मां और भाई है। कैलाश ने शादी नहीं की थी। वह रिक्शा चलाकर ही अपना पेट पालते थे। कभी-कभी मां को भी आर्थिक सहयोग कर दिया करते थे। कैलाश की मौत पर बूढ़ी मां और भाई के अलावा रोना वाला कोई नहीं है। बुजुर्ग मां की आंखें रो-रोकर पथरा चुकी हैं। वह बार-बार यह कहकर बेहोश हुए जा रही हैं कि अगर भगवान को किसी को उठाना था तो उन्हें उठा लेता। इन बूढ़ी आंखों से उन्हें बेटे की मौत का मंजर तो नहीं देखना पड़ता।

शुभम : फेरी लगाकर बंटा रहा था परिवार का हाथ

लाटूश रोड निवासी विजय सोनकर का 24 वर्षीय बेटा शुभम सोनकर सब्जी की फेरी लगाता था। परिवार में मां आशा, तीन भाई और एक बहन है। रविवार को वह अपने दोस्त सुनील सोनकर और रमेश यादव के साथ शादी समारोह में चकेरी गए थे। यहां से लौटते वक्त हादसे में उनकी मौत हो गई। परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। शुभम मेहनत मजदूरी करके परिवार का हाथ बंटा रहे थे। शुभम की मौत से अब परिवार के सामने संकटों का पहाड़ खड़ा हो गया है।

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